मुर्गों की लड़ाई के बारे में तो आपने खूब सुना और पढ़ा होगा. लेकिन मुर्गे के चलते देश के दो राज्य आमने-सामने आ गए हैं. तनातनी इतनी बढ़ गई है कि इस मामले में दिल्ली में बैठे अफसरों को भी दखल देना पड़ गया है. चिठ्ठियों का सिलसिला शुरू हो गया है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि दो राज्यों की इस लड़ाई में मुर्गी बेचारी जान से जा रही हैं. जिंदा मुर्गियों को जमीन में दफन किया जा रहा है. हालांकि इस लड़ाई का असम के बाजार में खूब फायदा उठाया जा रहा है. लेकिन कोलकाता के बाजार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
वहीं पश्चिम बंगाल प्रशासन ने असम सरकार को लैटर लिखकर बैन हटाने की बात कही है. साथ ही एनीमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट, दिल्ली के ज्वालइंट सेक्रेटरी ओपी चौधरी ने भी इस संबंध में गाइड लाइन और एक्शन प्लान के नियमों का हवाला देते हुए असम सरकार को एक पत्र लिखा है.
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जानकारों की मानें तो मार्च की शुरुआत में रांची, झारखंड में कुछ जगहों पर मुर्गियों में बर्ड फ्लू के कुछ केस सामने आए थे. फौरन ही राज्य और केन्द्र की टीम ने मिलकर वक्त रहते इस पर काबू पा लिया था. लेकिन झारखंड के इस केस को देखते हुए असम सरकार ने लाइव बर्ड को बैन करते हुए अपने राज्य में एंट्री देने से मना कर दिया. साथ ही बार्डर भी सील कर दिया गया. जिसका नतीजा यह हुआ है कि झारखंड, पश्चिेम बंगाल और बिहार से असम जाने वाले मुर्ग और मुर्गियों पर रोक लग गई.
छह मार्च को असम सरकार ने इस संबंध में एक लैटर भी जारी कर दिया. यह बैन असम के बार्डर पर आज भी जारी है. गौरतलब रहे कि बर्ड फ्लू को लेकर झारखंड में अब हालात सामान्य हैं. वहां पोल्ट्री कारोबार आम दिनों की तरह से ही चल रहा है. यूपी से झारखंड मुर्गे सप्लाई हो रहे हैं. प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कोई रोक-टोक नहीं है.
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पश्चिाम बंगाल के अलीपुर में मुर्गों की ट्रेडिंग करने वाले रतन घोष का आरोप है कि एक महीने दो दिन से हमारा माल असम नहीं जा रहा है. असम बार्डर पर माल से भरी गाड़ियां रोकी जा रही हैं. झारखंड में आए बर्ड फ्लू के नाम पर गाड़ियां रोकी जा रही हैं. जबकि इससे पहले 100 से 150 गाड़ियां रोजाना असम जाती थीं. लेकिन अब माल न जाने की वजह से बाजार में रेट डाउन हो गए हैं. पोल्ट्री फार्मर के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. लेकिन असम सरकार का बैन भी सिर्फ दिखावे का है. जो गाड़ी वाला दलालों के माध्यम से चढ़ावा दे रहा है उसकी गाड़ी पास हो जाती है.
पोल्ट्री फार्मर से कांट्रेक्ट् पर काम कराने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां पश्चिाम बंगाल से माल लाकर असम में बेचने का काम करती हैं. जबकि असम में फार्मर अपना माल बेचता है. फीड का कच्चा माल दूसरे राज्यों से आने के चलते असम का माल महंगा और बंगाल की कंपनियों का सस्ता होता है. जिससे असम के पोल्ट्री वाले मुश्किल में हैं.
-रनपाल ढांडा, अध्यक्ष, पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया
देश के कानून के मुताबिक किसी भी राज्य का कारोबारी दूसरे राज्य में जाकर अपना माल बेच सकता है. और जिस आधार पर असम सरकार बैन लगा रही है वो बर्ड फ्लू तो झारखंड में आया था और खत्म भी हो गया. वहां सब कुछ सामान्य है तो असम सरकार बैन क्यों नहीं हटा रही है.
-एफएम शेख, अध्यक्ष, ब्रॉयलर वेलफेयर एसोसिएशन, कानपुर
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