हमारे देश में बड़े पैमाने में लोग होम गार्डनिंग से जुड़कर रसोईघर में उपयोग में आनी वाली सब्जियों और मसालों को घर में ही उगा लेते हैं. होम गार्डनिंग करने वाले लोग ना सिर्फ हल्का-फुल्का किचन खर्च बचा लेते बल्कि बाजार में मिलने वाली चीजों से अधिक पौष्टिक फल-सब्जी और मसाले खाते हैं, जो हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है. आप भी फल-सब्जी उगाने का प्लान कर रहे हैं तो होम गार्डनिंग की बारीकियां सीख लीजिए.
पहली बार गार्डनिंग करने जा रहे हैं तो बेसिक बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है. गार्डनिंग के लिए जिस जगह को चुन रहे हैं सबसे पहले उसकी साफ-सफाई करें, ध्यान रहे उस जगह पर धूप बराबर आनी चाहिए, अगर पेड़-पौधों की वजह से धूप नहीं आ रही है तो छंटाई करें ताकि सूर्य का प्रकाश पहुंचे. इसके अलावा वो जगह ऐसी होनी चाहिए जहां पानी ना जमा होता हो नहीं तो मिट्टी में रोग या फफूंद का खतरा बना रहता है.
पौधे उगाने के लिए बीज, कटिंग या नर्सरी से लाए गए पौध का इस्तेमाल कर रहे हैं तो तीनों को लगाने का तरीका भी अलग-अलग है. कोशिश करें कि पौध से ही पौधा लगाएं. रोपाई से पहले क्यारियां बनाएं और इसी में पौधे या बीज लगाएं ताकि खाद-पानी देने में आसानी हो. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पौधे के आसपास अनावश्यक घास या खरपतवार ना उगने पाए.
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आप जानते हैं कि किसी भी पौधे की वृद्धि और विकास के लिए उसे जरूरी पोषण देना होता है. पौधों के लिए भी खाद और पानी की सख्त जरूरत होती है. लेकिन खाद और पानी देने के लिए सही मात्रा और सही समय की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है. पौधों की सिंचाई से पहले मिट्टी के नमी की जांच करें. वहीं 3 महीने में तैयार होने वाले पौधों को 45 दिन बाद एक मुट्ठी खाद दें. 6 महीने में तैयार होने वाले पौधों को हर महीने 2-2 चम्मच खाद देना अच्छा होता है.
खाद पानी के साथ ही पौधों को कीटों और कई तरह के रोगों से बचाना भी जरूरी होता है. कीटनाशक की बात करें तो नीम के तेल का स्प्रे फायदेमंद है. इस तेल को पानी में मिलाकर हल्का स्प्रे देने से कीटों से छुटकारा मिलता है. वहीं मिट्टी से फफूंद हटाने के लिए छाछ या थोड़ी हल्दी का छिड़काव करें. नीम की खली डालना भी फायदेमंद है. इसके अलावा कटाई-छंटाई करें ताकि पौधे तेजी से बढ़ते रहें.
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