
परिवार बंटा तो जमीन भी बंट गई. इस बंटवारे में हवा सिंह के हिस्से आई सिर्फ आधा एकड़ जमीन...जमीन के इस टुकड़े़ को देखकर हवा सिंह निराश हुए. निराशा का कारण था परिवार की आजीविका...हवा सिंह ने सोचा कि अगर इस जमीन पर गेहूं-सरसों जैसी फसलें उगाईं तो भी परिवार का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में कई बार खेतीबाड़ी छोड़ नौकरी करने का खयाल भी आया, लेकिन चुनौती ये थी कि खेती के अलावा आभा सिंंह को कुछ आता भी नहीं था. हवा सिंह की ये ही चुनौती उनकी ताकत बन गई. नत्तीजतन, आज वे अपने आधा एकड़ खेत में 39 तरह की फसलें लगा रहे हैं, जिसमें 4 फल की किस्में हैं, तो 35 तरह की सब्जियां शामिल हैं.
ये कहानी हरियाणा के जिंंद जिला स्थित गांव अमर हेड़ी के रहने वाले हवा सिंह की है, जो आधा एकड़ में 39 तरह की फसलें उगा कर प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं. खेती में उनका ये सफर 26 साल का हो चला है.
हवा सिंह बताते हैं कि आधा एकड़ जमीन, नौकरी करने का विचार जैसी चुनौतियों के बीच उन्होंने अपने आधा एकड़ खेत में पालक और हरी मिर्च के साथ खेती में कदम रखा. किसान तक से बातचीत में वे बताते हैं कि पालक और हरी मिर्च की बुवाई से उन्होंने आधा एकड़ खेत में खेती शुरू की, जब इसकी बिक्री से अच्छा पैसा मिला तो और दूसरी सब्जियां भी उगाना शुरू कर दिया. अब हाल यह है कि आज वे अपने हिस्से की जमीन पर 35 तरह की सब्जिीयां उगा रहे हैं. चार तरह के फल भी हैं. इतना ही नहीं दो तरह के गुलाब भी उगाए हुए हैं. गन्ना भी लगाया हुआ है.
हवा सिंह के खेत में दो तरह के गुलाब के फूल भी लगे हैं. उनका कहना है कि पूजा पाठ के लिए लोग उनके यहां से गुलाब के फूल ले जाते हैं. पूजा में इस्तेमाल करने के लिए केले के पत्ते भी ले जाते हैं. उनके यहां लगा गन्ना भी लोग खेत से ही खरीदकर ले जाते हैं. खेत में आचार वाली मोटी और पतली, तीखी वाली हरी मिर्च भी लगी हुई है. पीली शिमला मिर्च भी उगा रखी है.
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जींद, हरियाणा के गांव अमर हेड़ी के रहने वाले हवा सिंह 26 साल से सब्जी और फल की खेती कर रहे हैं. खेत कह लें या बाग-बगीचा उनके यहां पर सेब के पेड़ भी लगे हुए हैं. कैलिफोर्निया से आए खास तरह के पौधे से स्ट्राबेरी भी उगा रहे हैं. उनकी स्ट्राबेरी जींद में ही दिल्लीं से भी महंगे रेट पर बिक जाती है.
300 रुपये और 50 रुपये किलो कीमत वाला पुदिना भी उनके खेत की शान है. हवा सिंह की खास तरह की खेती के बारे में सुनकर ही हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अपने अमले के साथ सीधे उनके खेत पर पहुंच गए थे. उन्होंने खेत पर ही हवा सिंह के साथ खाना भी खाया. वहीं 26 जनवरी के मौके पर हवा सिंह को हरियाणा सरकार ने 2021 में सम्मानित भी किया था.
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हवा सिंह ने किसान तक को बताया कि बीते कुछ साल से उन्होंने अपने खेत में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बंद कर दिया है. यही वजह है जींद की मंडी में वे अपनी सब्जियों के दाम खुद तय करते हैं. आभा सिंह बताते हैं मंडी के रेट के मुकाबले उनके खेत की सब्जियां महंगी बिकती हैं. दूसरों के मुकाबले उनकी सब्जी जल्दी बिक जाती है. उनके बहुत सारे परमानेंट ग्राहक तो उनके खेत पर ही सब्जी , स्ट्राबेरी और अमरुद लेने आते हैं. कच्चा केला भी खेत से ही बिकता है.
हवा सिंह ने बताया कि सरकार के हाथों सम्मानित होने और डिप्टी सीएम के खेत पर आने के बाद उनके पास सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ महेन्द्रगढ़, हरियाणा ने भी बुलावा भेज था, लेकिन यह बुलावा यूनिवर्सिटी के छात्रों को पढ़ाने का था. इसके बाद से हवा सिंह बुलावा आने पर छात्रों को कम जगह में हर तरह की सब्जी उगाने और दूसरे वातावरण के फल उगाने के बारे में टिप्स देते हैं. साथ ही यह भी बताते हैं कि कम जगह में ज्यादा से ज्यादा सब्जी कैसे उगाई जा सकती है. किसान मेले और सब्जियों की प्रदर्शनी में भी हवा सिंह को बुलाया जाता है.
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