
आतंकवाद को लेकर आर्मी-पुलिस की हिट लिस्ट में रहने वाला पुलवामा इनदिनों सब्जियों की जन्नत बन गया है. आलम ये है कि मुंबई-बैंगलोर हो या चेन्नई-अहमदाबाद, चंडीगढ़ के होटल, हर जगह कश्मीर स्थित पुलवामा की सब्जियों की डिमांड इन दिनों बनी हुई है. इससे पुलवामा के किसानों को भी फायदा हो रहा है, तो वहीं देश के कोने-कोने में पुलवामा की ताजा और ऑर्गेनिक सब्जियां आसानी से पहुंच रही है. कुल मिलाकर देश के अंदर पुलवामा की सब्जियों का अर्थशास्त्र तेजी से विकसित हाे रहा है. इसे पुलवामा के युवा किसान इरशाद अहमद डार ने साकार किया है, जिनके प्रयासों के बाद पुलवामा जिले से एक साल में 42 करोड़ का लहसुन और मटर बेचा गया है.
पुलवामा की सब्जियों का अर्थशास्त्र विकसित होने का मुख्य आधार ऑर्गेनिक खेती का कमाल है. असल में पुलवामा की ऑर्गेनिक सब्जियां होने की वजह से ही वहां की सब्जियों की डिमांड देशभर में है. पुलवामा, कश्मीर के किसान इरशाद अहमद डार ने पहले अपने खेत में ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाई थी और फिर दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. इसी के लिए आईसीएआर ने उन्हें सम्मानित किया है.
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इरशाद अहमद डार ने किसान तक को बताया कि वे पुलवामा के पंपोर में पत्तलबाग गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उनके गांव में धान और सरसों की खेती होती थी. फिर 2010 में उन्होंने धान और सरसों के बाद सब्जियां उगाने के लिए लोगों को जागरूक करना शुरू किया. इस काम में जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग के डायरेक्टर अल्ताफ अंद्रावी ने उनकी बहुत मदद की. डार ने बताया कि इस काम की शुरुआत उन्होंने अपने ही गांव से की. जिसका नतीजा यह निकला कि सबसे पहले उनके गांव से एक करोड़ 20 लाख रुपये की हरी मटर बिकी थी.
डार ने बताया कि पहली सफलता को आधार बनाकर उन्होंने दूसरे गांव के लोगों को भी जोड़ना शुरू किया. ऑर्गेनिक खेती से जुड़ी जरूरी बातें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने कश्मीर एग्रीकल्चर इनफार्मेशन ऑर्गेनिक फार्मिंग के नाम से सोशल मीडिया पर प्रचार करना शुरू कर दिया. ऐसे में उनकी बात हर गांव में पढ़े-लिखे नौजवान को समझ में आने लगी. यही वजह है कि आज उनके गांव से शुरू हुई ऑर्गेनिक खेती पूरे पुलवामा में फैल चुकी है. कई गांवों को सौ फीसद ऑर्गेनिक खेती करने का सर्टिफिकेट भी मिल चुका है.
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इरशाद ने बताया कि साल 2022-23 में पुलवामा जिले से 20 करोड़ रुपये की हरी मटर बिकी है. इतना ही नहीं 22 करोड़ रुपये का लहसुन भी बिका है. इसी तरह से गाजर, मिर्च और दूसरी सब्जियां भी बिकींं हैं. किसानों को अब अच्छी इनकम हो रही है. घर पर ही हमारी सब्जियों के आर्डर आ जाते हैं. सबसे ज्यादा आर्डर मुम्बई, बेंग्लोर, चेन्न्ई, अहमदाबाद के होटल्स से आते हैं. खासतौर पर अप्रैल, मई और जून में जब मौसम के चलते पूरे देश में सब्जियों की कमी हो जाती है तो हमारे यहां से ताजी हरी सब्जियों की सप्लाई जारी रहती है. खास बात यह है कि दिसम्बर, जनवरी में सब्जी बर्फ से दबी रहती है तो उसमें एक अलग ही स्वाद पैदा होता है.
हाल ही में आईसीएआर के पूसा इंस्टीट्यूट में कृषि मेले का आयोजन किया गया था. मेले के दौरान देशभर के किसानों को भी सम्मानित किया गया था. यह वो किसान थे जो अपने-अपने राज्य और जिले में खेती में कुछ अच्छा काम कर रहे हैं. इसी के चलते ही कश्मीर से इरशाद अहमद को चुना गया था. एक कार्यक्रम के दौरान इरशाद को पुरस्कार देकर सम्माीनित किया गया है.
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