दावा है कि बैम्बू (बांस) का ऐसा खूबसूरत म्यूजियम कम से कम नॉर्थ इंडिया में तो आपने नहीं देखा होगा. इस म्यूजियम में बांस की करीब 43 अलग-अलग वैराइटी से बने आइटम रखे हुए हैं. आइटम भी एक से बढ़कर एक नायब हैं. एक सिंगल बांस से कई तरह के शोपीस आइटम कैसे बनाए जाते हैं यह म्यूजियम इस कलाकारी का बेहतरीन नमूना है. इतना ही नहीं दिखाने के लिए यहां बांस का रेशा भी रखा गया है जिससे आजकल कपड़ा तैयार किया जा रहा है. एक और सबसे खास बड़ी बात यह है कि इस पूरे म्यूजियम को भी बांस से ही तैयार किया गया है.
यह खास म्यूजियम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने तैयार किया है. यह संस्थान बॉस पर भी रिसर्च करता है. संस्थान में ही बांस के करीब 43 तरह के अलग-अलग पेड़ लगे हुए हैं.
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आईएचबीटी में बांस की रिसर्च से जुड़े डॉ. रोहित मिश्रा ने किसान तक को बताया कि बांस म्यूजियम बनाने के लिए छत से लेकर फर्श, दीवार और पिलर तक में बांस का इस्तेमाल किया गया है. म्यूजियम के फर्श को तैयार करने के लिए एक खास तरह के बांस का इस्तेमाल किया गया है. इस बांस का इस्तेमाल आज टाइल्स बनाने में भी किया जा रहा है. इसके साथ ही म्यूजियम में बांस से बना हर तरह का फर्नीचर भी रखा गया है. कुर्सी के साथ-साथ टेबल भी बांस की ही तैयार की गई है.
अगर पिलर की बात करें तो बांस के पिलर पर बांस की छाल या उसकी पतली-पतली कतरन को बड़ी ही खूबसूरती से लपेटा गया है. छत को भी बांस से तैयार करने के साथ फाल्स सीलिंग की तरह से ऊपर बहुत ही खूबसूरत बांस से बनी चटाईनुमा चादर अलग से लगाई गई है. दरवाजे भी बांस के ही लगाए गए हैं.
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रोहित मिश्रा ने बताया कि शोपीस आइटम हों या फिर बांस से पानी के लिए बना जग, पानी की बोतल, गिलास, टी मग और चम्मच भी सिंगल आइटम से तैयार किए गए हैं. इसके साथ ही बांस से बनी ट्रे, लैम्प शेड, हैड (टोपी) के साथ दर्जनों ऐसे आइटम हैं जो बांस से तैयार किए गए हैं. सब्जी-फल बाजार से लाने और घर में टेबल पर उन्हें रखने के लिए बांस की टोकरी भी बनाई गई हैं. बांस की चटाई और कोस्टर भी इस म्यूजियम में रखे हुए हैं.
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