
देश का अन्नदाता इस समय रोने को मजबूर है,सरकार के सारे दावों की पोल खोलता उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक किसान का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर आपको भी रोना आ जाएगा. खेतों में दिन रात काम कर अनाज पैदा करने करने वाला किसान खाद के लिए लाइन में लगा है, और इसके बाद भी जब उसे कई-कई घंटों खड़े रहने के बाद भी खाद नहीं मिल पाई तो उसके आंखों से आंसू निकल पड़े.
दरअसल, बस्ती जिले के परशुरामपुर थाना क्षेत्र के गोपीनाथपुर खाद के सेंटर पर खाद के लगी किसानों की लंबी लाइन इस बात की गवाही है कि फाइलों में अधिकारियों का दावा जमीन पर कितना सही साबित हो रहा है. किसान परेशान हैं और रो-रो कर अपनी व्यथा सुना रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी कह रहे है हमारे आंकड़ों में खाद की कोई समस्या नहीं है, आलम ये है कि इस बार खाद की आवक दो गुना यानी कि 8200 मीट्रिक टन खपत हो चुकी है, जब कि पिछले साल इसके आधा 4200 मीट्रिक टन ही था फिर भी किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है.
इसी बीच परशुरामपुर के गोपीनाथ खाद केंद्र पर एक किसान का रोते हुए वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रोते हुए बुजुर्ग किसान ने बताया कि फसल सूख रही है और खाद नहीं मिल रही. अगर इस बार फसल बर्बाद हो गई तो हम क्या करेंगे? ऐसे में उनकी आंखों में दिख रहा दर्द सिर्फ उनका नहीं, बल्कि बस्ती के हर उस किसान का है जो अपनी मेहनत से देश का पेट भरता है. खाद के लिए लाइन में खड़े कुछ और किसानों ने बताया कि सुबह 4 बजे से लाइन में लगे हैं, लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया. सुबह से भूखे-प्यासे बैठे हैं और पता चला कि खाद ही खत्म हो गई है. कई किसान तो तीन-तीन दिन से लाइनों में लगकर इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारी दावे फेल हो रहे हैं.
इस किल्लत के पीछे कालाबाजारी का बड़ा हाथ बताया जा रहा है. सरकारी सेंटरों पर खाद नहीं है, लेकिन निजी दुकानों पर मनमाने दामों पर खाद बेची जा रही है. किसान मजबूरी में ऊंचे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है और मुनाफा घट रहा है. यह उन अन्नदाताओं के साथ धोखा है जो अपनी मेहनत से देश को आत्मनिर्भर बनाते हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेन्द्रनाथ तिवारी खुद अपने ही सरकार के अधिकारियों पर आरोप लगाते है कि खाद की तस्करी हो रही है और जिम्मेदार इसमें शामिल है, किसानों की समस्या से उन्हें कोई मतलब नहीं है, दोगुना खाद की रैक आई फिर भी किसान खाद के लिए रो रहा है, इससे साबित होता है कि बड़े पैमाने पर ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. इतना ही नहीं समितियों पर ई-पास मशीन और स्टॉक रजिस्टर में कोई तालमेल नहीं है, क्यों कि केंद्रों पर किसानों को खाद ओवर रेट में दी जा रही है.
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