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Womens Day 2024: तमाम चुनौतियों के बीच खेती बनी सहारा, पढ़ें 2 महिला किसानों की सफलता की कहानी

Womens Day 2024: तमाम चुनौतियों के बीच खेती बनी सहारा, पढ़ें 2 महिला किसानों की सफलता की कहानी

बिहार के कैमूर जिले के सकरी गांव की रहने वाली अनिता देवी खेती किसानी में अपनी सफलता की परचम लहरा रही हैं. अनिता देवी ने बताया कि आठवीं पास करने के बाद कम उम्र में उनकी शादी कर दी गई थी. शादी के कुछ सालों बाद ही उनके पति अंधे हो गए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

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महिला दिवस महिला दिवस

साल का 8 मार्च का दिन महिलाओं के नाम है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के रूप में मनाया जाता है. यह खास दिन बताता है कि आज के समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं. देश की महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर हैं. वो चाहे रक्षा क्षेत्र हो या कुछ और, यहां तक कि खेती-बाड़ी में महिला किसानों की अहमियत बहुत बड़ी है. एक तरह से देखें तो हर पेशे में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं अधिक सक्रिय हैं.

देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां पुरुषों की तुलना में महिलाएं खेती का काम बड़े स्तर पर संभालती हैं और अनाजों के उत्पादन में बड़ा रोल निभाती हैं. आज महिला दिवस के अवसर पर हम ऐसी ही दो महिला किसानों की सफलता की कहानी जानेंगे जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बीच खेती-किसानी में अपना परचम लहराया.

सब्जी की खेती से सफलता की कहानी

बिहार के कैमूर जिले के सकरी गांव की रहने वाली अनिता देवी खेती किसानी में अपनी सफलता की परचम लहरा रही हैं. अनिता देवी ने बताया कि आठवीं पास करने के बाद कम उम्र में उनकी शादी कर दी गई थी. शादी के कुछ सालों बाद ही उनके पति अंधे हो गए. इसके बाद रोजी-रोटी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी. उस उक्त किसान अनिता को कमाई का कोई जरिया नहीं दिख रहा था. तब उन्होंने खेती करने का निर्णय लिया और ‘आत्मा कार्यालय कुदरा’ से संपर्क किया.

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जहां उन्हें सब्जी की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद उन्होंने सब्जी की खेती करने की शुरुआत की. इसके बाद उन्हें अच्छा उत्पादन प्राप्त किया. आज वह अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण और बीमार पति का इलाज करा रही हैं. साथ ही वह जैविक खेती भी कर रही हैं. ये कदम उनके जीवन को बदलने में एक अहम रोल निभा रहा है.

मशरूम की खेती से सफलता की कहानी

ऐसी ही सफलता की एक कहानी है बक्सर जिले के गांव उत्तमपुर की रहने वाली इंद्रासनी देवी की, जो वर्ष 2022 में प्रखंड उद्यान कार्यालय, राजपुर के की ओर से उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए चुना गया. अक्टूबर महीने में प्रखंड उद्यान कार्यालय राजपुर के द्वारा व्यावसायिक स्तर पर मशरूम का उत्पादन करने के लिए पूरी लागत पर उन्हें सब्सिडी दिया गया. वहीं जब उन्होंने मशरूम की खेती की उसके डेढ़ महीने बाद पहली तुड़ाई पर लगभग 50 किलो मशरूम का उत्पादन किया. अब इंद्रासनी देवी प्रतिदिन 10 किलो मशरूम की तुड़ाई करती हैं जिससे उन्हें 1200 से 1400 रुपये रोज की कमाई होती है. इस सफलता से उनके परिवार की जीवनशैली में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. साथ ही उनके आय में भी वृद्धि हो रही है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और समाज में उनके सम्मान को मानने का एक त्योहार है. यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिस्थितियों पर ध्यान देने के लिए मनाया जाता है, साथ ही उनके अधिकारों और स्वतंत्रता को समझाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है.