देश में पिछले कुछ सालों से फूलों की खेती की ओर किसान तेजी से रुख कर रहे हैं. इसमें गेंदा के फूल की मांग काफी अधिक रही है. वहीं गेंदा भारतीय फूलों में काफी लोकप्रिय है. गेंदे की खेती पूरे साल बहुत ही आसानी से की जाती है और मंडियों में पूरे वर्ष इसकी मांग बनी रहती है. गेंदा बहुत मशहूर फूल है क्योंकि यह धार्मिक अनुष्ठान और पूजा पाठ से लेकर सजावट तक में काफी इस्तेमाल किया जाता है. कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह भारत की लोकप्रिय खेती बनती जा रही है.
वहीं किसानों के लिए गेंदे की खेती में एक समस्या ये रहती है कि इसको अधिक समय तक ताजा कैसे रखा जाए. ऐसे में आइए आज हम आपको एक खास टेक्निक के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप गेंदे को लंबे समय तक ताजा रख सकते हैं.
गेंदे की रोपाई के दो से तीन महीने बाद इसमें फूल निकलने लगते हैं. फूल के अच्छे से खिलने पर इसकी तुड़ाई की जाती है. ऐसे में फूल को ताजा रखने के लिए फूल को सुबह-सुबह काटना चाहिए जिससे उस पर सूर्य की तेज किरणें न पड़ें. वहीं फूल को काटते समय ये ध्यान देना चाहिए कि फूल को तेज चाकू या सिकेटियर से तिरछा काटना चाहिए. इसके अलावा फूल को छायादार जगह पर फैलाकर रखना चाहिए. वहीं फूलों को इस्तेमाल करने से पहले टहनी के साथ बाल्टी में रखना चाहिए. साथ ही ये लंबे समय तक ताजा रहे, इसके लिए बाल्टी में 1 से 2 लीटर पानी में 40 ग्राम चीनी मिला लें. ऐसा करने से फूलों को अधिक समय तक ताजा रखा जा सकता है.
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गेंदे की खेती मुख्य रूप से ठंड के मौसम में की जाती है. ठंड के मौसम में गेंदे की वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता दोनों अच्छी होती है. जिस वजह से यह मौसम इसके लिए अनुकूल माना गया है. हालांकि यह भी सच है कि इसकी खेती मॉनसून, सर्दी और गर्मी तीनों मौसमों में की जा सकती है. गेंदा की खेती अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इसके लिए 7.0 से 7.6 पीएच मान वाली मिट्टी बेहतर मानी जाती है. गेंदे की फसल को धूप की बहुत जरूरत होती है. पेड़ छाया में अच्छे से बढ़ता हैं लेकिन फूल नहीं लगता है. ऐसे में गेंदे की खेती खुले जगह पर ही करें.
गेंदे की बेहतर फसल के लिए खेत की तैयारी करना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए खेत की एक गहरी जुताई कर करके खेत को समतल बना लें. इसके अलावा जुताई के समय 15-20 टन सड़ी हुई गोबर खाद या कंपोस्ट खाद जमीन में मिला दें, ताकि उपज अच्छी मिले. इसके अलावा यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट और पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में मिला दें. इसके बाद गेंदे के पौधे की बुवाई कर दें.
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