विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बड़ा बयान देते हुए अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वार्ता को लेकर बड़ा हिंट दिया है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए भारत की बातचीत में कुछ सीमाएं हैं. भारत किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए दृढ़ रहेगा. जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त अमेरिकी शुल्क लागू होने वाले हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार दोनों देशों के बीच वास्तव में प्रमुख मुद्दा है. उन्होंने कहा कि भारत के सामने कुछ 'सीमा रेखाएं' हैं और प्रस्तावित व्यापार के लिए बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा, 'सरकार के तौर पर हम अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम इस पर पूरी तरह दृढ़ हैं. यह ऐसी बात नहीं है जिस पर हम समझौता कर सकें.' भारत द्वारा अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने से इनकार करने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत में रुकावट आ गई.
अमेरिका की कुछ मांगें, जो साफतौर पर भारत सरकार के लिए मुश्किल हैं, उन क्षेत्रों से संबंधित थीं जो देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार हैं. अमेरिका भारत पर अमेरिकी डेयरी, पोल्ट्री और मक्का, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, फल और मेवों जैसे कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने का दबाव बना रहा है. लेकिन कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के कारण, भारत मक्का, सोयाबीन, गेहूं और डेयरी उत्पादों के लिए अपने बाजारों तक पहुंच प्रदान करने से पीछे हट रहा है.
भारत के विरोध का मुख्य कारण यह है कि अमेरिका में ज्यादातर आनुवंशिक रूप से संशोधित यानी जीन एडिटिंग मक्का और सोयाबीन उगाया जाता है. भारत जीएम खाद्य फसलों के आयात की अनुमति नहीं देता है और उन्हें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक मानता है. डेयरी एक और बेहद संवेदनशील क्षेत्र है जो देश के लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है. कई छोटे और भूमिहीन किसान इस क्षेत्र पर निर्भर हैं, और डेयरी उन्हें अनियमित मॉनसून या फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद करती है.
अमेरिकी को एक साफ संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐलान कर दिया है कि देश किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा. उन्होंने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा था, 'मोदी भारत के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों से संबंधित किसी भी हानिकारक नीति के खिलाफ दीवार की तरह खड़े हैं.'
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