Stubble Burning: पराली से फिर बिगड़ने लगी हवा, पंजाब में अब तक 176 केस दर्ज

Stubble Burning: पराली से फिर बिगड़ने लगी हवा, पंजाब में अब तक 176 केस दर्ज

पंजाब में अब तक पराली जलाने के 176 मामले सामने आ चुके हैं. अमृतसर और तरनतारन सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं. जानिए कैसे सरकार और CPCB मिलकर इस संकट से निपटने की तैयारी कर रहे हैं.

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Stubble Burning: पराली से फिर बिगड़ने लगी हवा, पंजाब में अब तक 176 केस दर्जपराली जलाने पर सख्त कार्रवाई

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. मंगलवार को जहां इस सीजन का सबसे बड़ा उछाल दर्ज किया गया, वहीं बुधवार को पराली जलाने की संख्या में गिरावट देखी गई. इस दिन केवल 11 नए मामले सामने आए, जबकि मंगलवार को 31 केस रिपोर्ट हुए थे.

अब तक कुल 176 पराली जलाने के मामले

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 15 अक्टूबर तक पंजाब में कुल 176 पराली जलाने के केस दर्ज हो चुके हैं. इसमें अमृतसर (73 मामले) और तरनतारन (51 मामले) सबसे ज्यादा योगदान दे रहे हैं. इसके अलावा, अन्य जिलों में भी छिटपुट मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन इन दोनों जिलों में स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है.

मलवा क्षेत्र में बढ़ सकती हैं घटनाएं

अब जैसे-जैसे दक्षिणी मलवा क्षेत्र में धान की कटाई तेज हो रही है, पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है. अधिकारियों का मानना है कि 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक का समय सबसे अहम रहेगा, क्योंकि इस दौरान सबसे ज्यादा धान की कटाई होती है.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए उड़न दस्ते की तैनाती

पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 22 वैज्ञानिकों की एक उड़न दस्ते (flying squad) को पंजाब में तैनात किया है. इनका काम है पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखना और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर तुरंत कार्रवाई करना.

यह फैसला केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और कृषि विभाग के बीच हुई समीक्षा बैठक के बाद लिया गया.

दिल्ली-NCR पर पड़ेगा असर

हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में पराली जलाने से उठने वाला धुआं दिल्ली और एनसीआर की हवा को बेहद प्रदूषित कर देता है. इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है.

इसलिए इस बार सरकारें पहले से सतर्क हैं और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

फिलहाल पराली जलाने के मामलों में थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन आने वाले हफ्ते बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं. सरकार, किसान और आम जनता- सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा, ताकि हवा साफ रह सके और स्वास्थ्य पर असर न पड़े.

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