बढ़ते वजन और मोटापे को नियंत्रित रखने के अलावा कई अन्य रोगों के जोखिम को कम करने के लिए चीनी के जगह पर उसके कृत्रिम या प्राकृतिक विकल्पों के सेवन को हमेशा से बेहतर समझा जाता रहा है, लेकिन क्या वाकई में ऐसा होता है. इस बारे में 15 मई 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए दिशानिर्देश जारी करते हुए लोगों को आगाह किया है कि मिठास के इन कृत्रिम और प्राकृतिक विकल्पों/ non sugar sweeteners के सेवन से बचना चाहिए.
गौरतलब है कि अकसर चीनी या मीठे के अत्यधिक सेवन को बढ़ते वजन, मोटापे के साथ हार्ट संबंधी रोग, शुगर और कैंसर जैसी बीमारियों को जोड़कर देखा जाता रहा है. यदि WHO के आंकड़ों पर गौर करें, तो यह गैर-संचारी बीमारियां (गैर-संचारी रोगों में पार्किंसन रोग, स्वप्रतिरक्षित रोग, स्ट्रोक, अधिकांश हृदय रोग, अधिकांश कर्कट रोग, मधुमेह, गुर्दे की पुरानी बीमारी, अस्थिसंध्यार्ति, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर रोग, मोतियाबिंद और अन्य शामिल हैं.) दुनिया भर में सभी मौतों के 74 प्रतिशत के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन लंबे समय से चीनी और मीठे के सेवन में कमी लाने की सिफारिशें करता रहा है. हालांकि इसके विकल्प के रूप में लोग गैर-शक्कर युक्त मिठास/ non-sugar sweeteners (इस्सेल्फेम के, एस्पार्टेम, एडवांटेम, साइक्लामेट्स, नियोटेम, सैकरीन, सुक्रालोज, स्टेविया और स्टेविया डेरिवेटिव शामिल हैं.) को इसके विकल्प के रूप में देखने लगे हैं, लेकिन यह सही नहीं है. देखा जाए तो यह गैर-शक्कर युक्त मिठास केमिकल्स और प्राकृतिक तत्वों के निचोड़ से बनाई जाती है. इसमें शून्य या बहुत कम कैलोरी होती है.
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अक्सर इस कृत्रिम मिठास का उपयोग डिब्बा-बन्द खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में किया जाता है और दर्शाया जाता है कि यह पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं. ग्राहक भी इन्हें बेहतर समझकर अपने खाने पीने की चीजों जैसे चाय, कॉफी आदि में चीनी के स्थान पर उपयोग करते हैं.
WHO के मुताबिक इन non-sugar sweeteners में मुख्यतः ऐस्पार्टेम, इस्सेल्फेम पोटेशियम, एडवेंटेम, साइक्लामेट्स, नियोटेम, सैक्रीन, सुक्रालोज, स्टेविया और उसके अन्य रूपों के अलावा अन्य उत्पाद शामिल हैं. इनमें कैलोरी के बिना ही मीठे का स्वाद लिया जा सकता है. गौरतलब है कि अक्सर इनके बारे में वजन कम करने या मोटापे में कमी लाने जैसे तर्क दिए जाते हैं. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सिफारिश की है कि कृत्रिम मिठास शरीर के बढ़ते वजन और मोटापे को नियंत्रित करने के साथ वजन सम्बन्धी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद नहीं करती है. डब्ल्यूएचओ की यह सिफारिशें उपलब्ध साक्ष्यों की समीक्षा पर आधारित है.
वहीं WHO के मुताबिक समीक्षा के नतीजे दर्शाते हैं कि गैर-शक्कर युक्त मिठास के लम्बे समय तक सेवन से अनचाहे असर पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है. पता चला है कि इनकी वजह से टाइप टू डायबिटीज, हार्ट तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी रोगों के साथ अन्य बीमारियां हो सकती हैं जो समय से पहले मौत की वजह बन सकती हैं.
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इस बारे में WHO में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा के निदेशक फ़्रांसेस्का ब्रांका का कहना है कि, "चीनी की जगह, कृत्रिम मिठास का सेवन करने से लम्बे समय में वजन कम करने में कोई मदद नहीं मिलती है." ऐसे में उनका सुझाव है कि लोगों को चीनी का उपयोग कम करने के लिए अन्य रास्ते तलाशने होंगें. इसके लिए मिठास के प्राकृतिक स्रोतों जैसे फलों और बिना मिठास वाले भोजन और पेय पदार्थों का इस्तेमाल करना होगा.
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