
साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स यानी कि IYM 2023 घोषित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के इस मुहिम की अगुवाई खुद भारत कर रहा है. भारत ने ही इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया था जिस पर संयुक्त राष्ट्र तैयार हुआ और आज हम मिलेट ईयर की चर्चा चारों ओर सुन रहे हैं. मिलेट ईयर शुरू करने के पीछे कारण है मोटे अनाजों की खेती और खान-पान में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देना. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मोटा अनाज यानी कि Millets प्रतिकूल जलवायु में भी उग सकता है. यह कई खतरनाक रोगों से हमारी रक्षा कर सकता है. आज ये दोनों चुनौतियां पूरी दुनिया के सामने खड़ी हैं. भारत ने इस चुनौती से निपटने के लिए खास रणनीति बनाई और अब इसका अभियान पूरी दुनिया में चल रहा है. भारत का रोल इसलिए खास है क्योंकि भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. सवाल है कि भारत के अलावा और कहां-कहां मोटे अनाज उगाए जाते हैं.
मोटे अनाजों की सबसे अधिक खेती अफ्रीका में की जाती है. वहां के कई देश इस खेती में शामिल हैं. यहीं से पूरी दुनिया को बड़े पैमाने पर मोटे अनाजों का निर्यात भी होता है. कहां और किन महादेशों में मोटे अनाजों की कितनी खेती होती है, इसे समझने के लिए नीचे दिया गया टेबल देख सकते हैं.
सरकारी आंकड़ा बताता है कि भारत 170 लाख टन मोटे अनाजों का उत्पादन करता है जो कि एशिया का 80 परसेंट है और पूरी दुनिया के उत्पादन का 20 परसेंट. अगर मोटे अनाजों की पैदावार की बात करें तो दुनिया में यह 1229 किलो प्रति हेक्टेयर है जबकि भारत में इसकी मात्रा 1239 किलो प्रति हेक्टेयर है. यानी वैश्विक स्तर से अधिक मोटे अनाजों की पैदावार भारत में ली जाती है.
भारत विश्व में मोटे अनाजों के अग्रणी उत्पादकों में एक है और वैश्विक उत्पादों में भारत का अनुमानित हिस्सा लगभग 41 प्रतिशत है. एफएओ के अनुसार वर्ष 2020 में मोटे अनाजों का विश्व उत्पादन 30.464 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हुआ और भारत का हिस्सा 12.49 एमएमटी था, जो कुल मोटा अनाज उत्पादन का 41 प्रतिशत है. पीआईबी एक आंकड़े के मुताबिक, भारत ने 2021-22 में मोटा अनाज उत्पादन में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इससे पहले के वर्ष में यह उत्पादन 15.92 एमएमटी था.
भारत के शीर्ष पांच मोटा अनाज उत्पादक राज्य हैं – राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश. मोटा अनाज निर्यात का हिस्सा कुल उत्पादन का एक प्रतिशत है. भारत के मोटे अनाज के निर्यात में मुख्य रूप से संपूर्ण अनाज है और मोटे अनाजों के प्रोसेस किए उत्पादों का निर्यात बहुत कम है. लेकिन अनुमान है कि वर्ष 2025 तक मोटे अनाज का बाजार वर्तमान 9 बिलियन डॉलर बाजार मूल्य से बढ़कर 12 बिलियन डॉलर हो जाएगा.
भारत के अलावा जिन देशों में सबसे अधिक मोटे अनाजों की खेती होती है, उनमें नाइजर, चीन, नाइजीरिया, माली, सुडान, इथोपिया, बर्किना फासो, सेनेगल, चाड, पाकिस्तान, तंजानिया, नेपाल, रूस, यूक्रेन, युगांडा, म्यांमार, घाना और गिनी जैसे देश शामिल हैं. इन देशों में सबसे अधिक अफ्रीकी देश हैं जहां मिलेट सबसे अधिक उगाया जाता है. देशों में देखें तो मिलेट उगाने में भारत पहले स्थान पर है जबकि दूसरे पर नाइजर है.
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डीजीसीआईएस के डाटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में मोटे अनाजों के निर्यात में भारत ने 8.02 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, क्योंकि 159,332.16 मीट्रिक टन मोटे अनाज का निर्यात हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान मोटे अनाज का निर्यात 147,501.08 मीट्रिक टन था.
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भारत जिन प्रमुख देशों को मोटे अनाज का निर्यात करता हैं, उनमें संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, ब्रिटेन तथा अमेरिका हैं. भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू शामिल हैं. मोटे अनाज आयात करने वाले प्रमुख देश हैं - इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील और नीदरलैंड.
16 प्रमुख किस्म के मोटे अनाजों का उत्पादन होता है और उनका निर्यात किया जाता है. इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, चीना, कोदो, सवा/सांवा/झंगोरा, कुटकी, कुट्टू, चौलाई और ब्राउन टॉप मिलेट हैं.
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