उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक अभी तक सब्जियों की 100 से ज्यादा किस्मों को विकसित कर चुका है, जिसमें पीली, गुलाबी और बैंगनी रंग वाली फूल गोभी की किस्में भी शामिल है. इसी कड़ी में संस्थान के वैज्ञानिक हरी फूल गोभी की किस्म विकसित करने के अंतिम चरण में है. संस्थान के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ वीके सिंह ने बीते दिनों हरे रंग की खास किस्म की फूल गोभी का सफल परीक्षण किया गया है. ये हरे रंग वाली फूलगोभी ब्रोकली से अलग है और पोषक तत्वों से भरपूर है. इस गोभी की विशेषताओं की बात करें तो इसका वजन 3 किलो तक है, जिसकी खेती कर किसान आसानी से मोटा मुनाफा कमा सकेंगे.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ वीके सिंह ने हरे रंग की फूलगोभी की किस्म का सफल परीक्षण किया गया है. हालांकि इसके बीच अभी किसानों को मिलने में कुछ समय लग सकता है. फिलहाल संस्थान के फार्म में यह गोभी 2.5 से 3 किलो के आकार में विकसित हुई है. अभी तक गोभी का इतना बड़ा आकार देखने को नहीं मिलता था, लेकिन इस प्रयोग के बाद आने वाले समय में हरे रंग की 3 किलो वजनी गोभी को किसानों के द्वारा पैदा किया जा सकेगा.
इस गोभी के बड़े आकार के चलते किसानों का मुनाफा भी इसमें खूब बढ़ेगा. बाजार में रंगीन फूलगोभी का दाम सामान्य गोभी के मुकाबले 2 से 3 गुना ज्यादा होता है. इसी वजह से किसानों का मुनाफा भी इसकी खेती में ज्यादा होगा.
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देश के भीतर किसानों के द्वारा रंगीन फूलगोभी की खेती का चलन बढ़ा है. महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ और झारखंड के किसानों के द्वारा फूल गोभी के रंगीन किस्म की खेती की जा रही है. वही वाराणसी के सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा हरे रंग की फूलगोभी की किस्म को विकसित किया गया है. इस गोभी को पोषक तत्वों से भरपूर बताया गया है. रंगीन फूलगोभी को कृषि वैज्ञानिक डॉ वीके सिंह ने काफी ज्यादा फायदेमंद बताया है. पीले रंग की गोभी में कैरोटीन जबकि बैगनी गोभी में एलेंटिना तत्व पाया जाता है.
यह गोभी आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए फायदेमंद है. वही कैंसर जैसी बीमारियों में इसका सेवन फायदेमंद माना गया है. रंगीन को भी में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. इसके अलावा कैल्शियम, फॉस्फोरस ,मैग्नीशियम और जिंक जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इस गोभी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है.
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