मोदी सरकार की सबसे बड़ी किसान योजना पीएम किसान स्कीम (PM-Kisan Scheme) के 50 महीने पूरे होने वाले हैं. किसानों की नजर में यह सबसे सफल योजना साबित हुई है. क्योंकि इसके तहत 2.25 लाख करोड़ रुपये डायरेक्ट उनके बैंक अकाउंट में आ चुके हैं. कोई नेता और अधिकारी इस रकम में से बंदरबांट नहीं कर पाया है. इसलिए इसकी रकम बढ़ाने की मांग हो रही है. अभी स्कीम के तहत तीन किस्तों में सालाना 6000 रुपये मिलते हैं, जबकि किसान संगठन और विशेषज्ञ इसे बढ़ाकर 8000 से 24000 रुपये तक करने की मांग कर रहे हैं. किसानों को उम्मीद है कि इस साल 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा और फिर 2024 के आम चुनाव को देखते हुए सरकार बजट में इसकी रकम बढ़ाने का एलान कर सकती है.
पीएम किसान स्कीम की 12वीं किस्त 8.5 करोड़ किसानों को मिल चुकी है. इतनी बड़ी संख्या अपने आप में बहुत बड़ा वोट बैंक भी है. एमएसपी गारंटी की मांग को लेकर कई सूबों में कुछ किसान संगठन सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं. ऐसे में पीएम किसान स्कीम के जरिए इन किसानों को अधिक पैसा देकर सरकार कृषक वर्ग को रिझा सकती है. कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अब लाभार्थी 11 करोड़ से घटकर सिर्फ 8.5 करोड़ ही रह गए, इसलिए पहले वाले आवंटन से ही रकम बढ़ाई जा सकती है. देखना यह है कि केंद्रीय बजट-2023-24 में किसानों को यह तोहफा मिलता है या नहीं.
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पीएम किसान स्कीम की शुरुआत के समय में सरकार ने सालाना 75000 करोड़ रुपये खर्च करने का प्लान था. उम्मीद थी कि कम से कम इसके 12.5 करोड़ लाभार्थी होंगे. लेकिन इतने लाभार्थी कभी नहीं बन पाए, क्योंकि वो इसकी शर्तों में फिट नहीं बैठ रहे थे. इस स्कीम के तहत 2020-21 में किसानों के खाते में सबसे अधिक 61091 करोड़ रुपये की रकम खर्च की गई थी. इसलिए इसके बजट आवंटन में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती कर करके 65000 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
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ब पीएम किसान के लाभार्थी 11 करोड़ से घटकर 8.5 करोड़ रह गए हैं. क्योंकि अपात्रों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. अगर वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद 9 करोड़ पात्र किसान बचते हैं तो पीएम किसान पर सालाना सिर्फ 54,000 करोड़ रुपये का खर्च होगा. ऐसे में सरकार अगर चाहे तो योजना के पुराने आवंटन यानी 75000 करोड़ रुपये से ही पात्र किसानों को 2-2 हजार रुपये और दे सकती है.
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