भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. यहां अलग-अलग फसलें अपनी खास पहचान की वजह से जानी जाती हैं. वहीं, कई फसलें अपने अनोखे नाम के लिए तो कई अपने स्वाद के लिए मशहूर होती हैं. ऐसी है एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम क्रांति है. दरअसल, ये वैरायटी राई की एक खास किस्म है, जिसकी खेती रबी सीजन में जाती है. वहीं, बात करें राई की तो ये रबी फसल की एक प्रमुख तिलहन फसल है. राई की खेती किसानों के लिए काफी लोकप्रिय खेती है. इस फसल की खेती कम सिंचाई और कम लागत में आसानी से हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं सरसों की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं?
क्रांति किस्म: राई की ये किस्म 125 से 130 दिन के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है. इस किस्मों में प्रति हेक्टेयर की दर से 20 से 22 क्विंटल राई का उत्पादन आसानी से मिल सकता है. इस किस्म के अंदर 40 फीसदी तक तेल होता है.
वरुण किस्म: राई कि यह किस्म 135 से 140 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म के अंदर प्रति हेक्टेयर की दर से 20 से 22 क्विंटल राई का उत्पादन आसानी से हो जाता है. इस किस्म के अंतर्गत 42 फीसदी तेल का उत्पादन प्राप्त होता है.
राजेंद्र सुफलाम किस्म: राई कि इस किस्म को तैयार होने में 105 से 115 दिन लगते हैं. इस किस्म के से लगभग 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से राई का उत्पादन किया जा सकता है. वहीं इस किस्म के अंतर्गत 40 फीसदी तेल का उत्पादन होता है.
पूसा बोल्ड किस्म: राई की यह किस्म 120 से 140 दिन के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है. ये किस्म थोड़ी देर से तैयार होने वाली किस्मों में आती है. इस किस्म के अंदर प्रति हेक्टेयर की दर से 18 से 20 क्विंटल राई का उत्पादन आसानी से हो जाता है. इस किस्म के से 42 फीसदी तक तेल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
राजेंद्र राई पछेती किस्म: राई की यह किस्म 105 से 120 दिन के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है. इस किस्म के अंतर्गत लगभग 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से राई का उत्पादन किया जा सकता है. इसके अंदर प्रति हेक्टेयर की दर से 41 फीसदी तेल का उत्पादन मिलता है.
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