केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों किसानों और गांवों से जुड़े जरूरी मुद्दों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं. अब उन्होंने किसानों की शिकायतों के आधार पर खेती में बायोस्टिमुलेंट (Biostimulant) के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं कि क्या इससे वास्तविकता में किसानों को फसलों में फायदा हो रहा है? उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर समीक्षा में ये कारगर साबित नहीं होते हैं तो इनकी बिक्री की अनुमति छीनी जाएगी. अब बाजार में सिर्फ कारगर बायोस्टिमुलेंट ही बिकने चाहिए. ऐसे में अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर बायोस्टिमुलेंट क्या है. तो जानिए यह क्या है और फसलों के लिए क्या काम करता है.
बायोस्टिमुलेंट जैविक या प्राकृतिक पदार्थ होते हैं, जो पौधों को स्वस्थ रखने, पोषक तत्वों को अच्छे से सोखने और जलवायु और जैविक तनाव- जैसे सूखा, अत्यधिक बारिश, खारापन आदि से लड़ने में मदद करते हैं. इनसे पौधों की वृद्धि, उत्पादन क्षमता और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है. लेकिन ये खाद (fertilizer) या कीटनाशक (pesticide) नहीं होते हैं.
सीवीड एक्सट्रैक्ट (समुद्री शैवाल का अर्क), ह्यूमिक एसिड/फुल्विक एसिड, एमिनो एसिड, माइक्रोबियल बायोस्टिमुलेंट्स (जैसे बैक्टीरिया या कवक आधारित उत्पाद) ये बायोस्टिमुलेंट के उदहारण हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को बायोस्टिमुलेंट को लेकर नई दिल्ली में कृषि भवन में कृषि मंत्रालय और आईसीएआर के अफसरों की एक बैठक ली और इस दौरान उन्होंने अफसरों को किसानों के साथ हो रही बेईमानी को लेकर फटकार लगाई. उन्होंने सख्त हिदायत दी कि वह देश के कृषि मंत्री रहते हुए किसानों के साथ कोई बेईमानी नहीं होने देंगे. इस दौरान चौहान ने असफरों से कई सवाल किए और बहुत से जरूरी आंकड़े भी दिए.
चौहान ने कहा कि कुछ सालों तक बाजार में 30 हजार बायोस्टिमुलेंट उत्पाद बाजार में बिक रहे थे और अफसर आंखें बंद करके देख रहे थे. वहीं, 4 साल से करीब 8 हजार बायोस्टिमुलेंट बिकते रहे, जब मैंने इस बारे में सख्ती की तो अब तकरीबन 650 बायोस्टिमुलेंट ही बचे हैं. शिवराज सिंह ने कहा- ऐसा तमाशा नहीं करें, जिससे किसानों को नुकसान हो.
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