लीची एक ऐसा फल है जो अपने आकर्षक रंग, स्वाद और क्वालिटी के लिए लोकप्रिय है. ये बहुत ही रसीला फल होता है. लीची का फल लाल छिलकेदार होता है जिसमें सफेद रंग का गूदा होता है, जो स्वाद में मीठा और स्वादिष्ट होता है. गर्मी के दिनों में लोग इस फल को काफी चाव से खाते हैं. लीची के फलों का उपयोग सीधे तौर पर खाने के अलावा अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए भी किया जाता है.
लीची के फलों से जैम, जेली और शरबत आदि बनाया जाता है. बाजारों में भी लीची की बहुत अधिक मांग रहती है, जिस वजह से किसान लीची की बागवानी करना पसंद करते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि बिहार जो लीची उत्पादन में सबसे आगे है, वहां कितने तरह की लीची उगाई जाती है. जानने के लिए पढ़िए हर एक की डिटेल्स.
बिहार एक ऐसा राज्य है जहां देश में उगाई जाने वाली लीची में 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले उसकी है. ये राज्य लीची उत्पादन में सबसे आगे है. यहां के मुजफ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है. वहीं बात करें बिहार में उगाई जाने वाली लीची की तो शाही लीची के अलावा इस राज्य में कस्बा लीची, लौंगिया लीची, बेदाना लीची, चाइना लीची और पुरबी लीची उगाई जाती है.
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शाही लीची:- लीची की विभिन्न किस्मों में शाही प्रजाति का स्थान सबसे ऊपर है. बिहार के मुजफ्फरपुर को लीची की राजधानी कहा जाता है. देश के अन्य हिस्सों में भी शाही लीची की खेती अन्य नाम से हो रही है, लेकिन जो क्वालिटी मुजफ्फरपुर की लीची में है, वह अन्य किसी भी जगह की लीची में नहीं है. शाही लीची को GI Tag भी मिल चुका है.
चाइना लीची:- चाइना लीची की एक पछेती उन्नत किस्म है. इसके फलों का रंग गहरा लाल और आकार मध्यम होता है. चाइना लीची किस्म के फलों में गूदे की मात्रा अधिक पाई जाती है. वहीं प्रत्येक पौधे से 80 से 90 किलोग्राम तक उपज प्राप्त हो जाती है. साथ ही इस लीची की एक खासियत है कि इसके फल रस होने पर फटते नहीं हैं.
लौगिंया लीची:- लीची के लिए मशहूर मुजफ्फरपुर में यह प्रजाति विलुप्त सी हो गई है. 25 से 30 साल पहले तक शाही लीची और चाइना के साथ लौगिंया लीची किसानों के बागानों में नजर आती थी, लेकिन अब इस प्रजाति की लीची गायब हो गई है. धीरे-धीरे बिहार के किसान अब इस लीची की खेती करना बंद कर दिए है.
कस्बा लीची:- बिहार में उगाई जाने वाली किस्मों में कस्बा लीची का भी अपना एक अहम स्थान है. ये मध्य-देर से पकने वाली किस्म है. इसका आकार गहरे लाल रंग का होता है और अंडाकार या गोल होता है. इस किस्म की खासियत ये है कि इसके फल टूटने-फटने और सूरज की जलन के प्रति प्रतिरोधी है.
बेदाना लीची:- लीची की बेदाना किस्म का फल अंडाकार या दिल के आकार का होता है. पकने पर रंग यूरेनियम हरा और लाल रंग का होता है और फल का आकार मध्यम होता है, वजन 15 से 18 ग्राम तक होता है. ये किस्म दिखने में हरा होने के बावजूद खाने में खूब रसीला और मीठा होता है.
पुरबी लीची:- पुरबी किस्म ज्यादातर बिहार के पूर्वी हिस्से में उगाई जाती है. इस किस्म के फल मध्यम और बड़े होते हैं, जो मई के अंत या जून के पहले सप्ताह में पकते हैं. इसके रंग गुलाबी दिखाई देते हैं. वहीं इसकी औसत उपज 90-100 किग्रा प्रति पेड़ है.
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