हरियाणा के नारनौंद उपमंडल के गांव सिंघवा खास में सात बार की राष्ट्रीय चैंपियन मुर्रा नस्ल की भैंस धन्नो रानी का 25 वर्ष पूरे होने पर जीवन-जग समारोह आयोजित किया गया. इस मौके पर पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी पहुंचे और पशुपालकों को सम्मानित किया. धन्नो रानी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कई केंद्रीय व राज्य मंत्रियों ने सम्मानित किया है, ने प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में हरियाणा का नाम रोशन किया है. इस भैंस ने 25 किलो 656 ग्राम दूध देकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया था.
भैंस के मालिक ईश्वर ने बताया कि 2008 में खरीदी गई धन्नो रानी ने 2015 तक लगातार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चैंपियन का खिताब अपने नाम किया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि परिवार का सदस्य रही है, जिसे 25 वर्षों तक पूरे स्नेह के साथ पाला गया. इस मौके पद दुष्यंत चौटाला ने इस अवसर पर कहा, 'यह भैंस हरियाणा की सबसे उम्रदराज और सम्मानित भैंसों में से एक है. आज के समय में जहां लोग अपने बुजुर्गों को भी घर पर नहीं रखते, वहीं इस परिवार ने धन्नो रानी को परिवार का हिस्सा मानकर जीवनभर संभाला और पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ाया है.'
उन्होंने मुर्रा नस्ल के संरक्षण और पशु अनुसंधान केंद्रों को लेकर उन्होंने सरकार से गंभीरता दिखाने की अपील की. मुर्रा भैंस अनुसंधान केंद्रों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोविड के बाद जो पशुओं के मेले लगते थे वह भी बंद कर दिए गए हैं. उन मेलों में आप अपने पशुओं को ले जाते थे और कंपीटीशन होता था और किसान को मौका मिलता था कि उसके पशुधन की ज्यादा से ज्यादा कीमत मिल सके. उनका कहना था कि अगर पशु अनुसंधान केंद्र का कार्य बंद होगा तो किसान कैसे आगे बढ़ पाएंगे.
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गांवों में पशुधन में 25 फीसदी तक की कमी आई है. आगे जो पशु गणना होगी उसमें और भी ज्यादा पशुधन कम मिलेगा. उनकी मानें तो विदेशों में भारत की तुलना में पशुधन को लेकर ज्यादा सुधार हुआ है. अब वहां पर एक-एक भैंस या गाय काफी अच्छा दूध दे रही है और भारत अभी तक अपने पशुओं की नस्ल नहीं सुधार पाया है. इस मौके पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे सैकड़ों पशुपालकों को भी सम्मानित किया गया. समारोह में ग्रामीणों ने धन्नो रानी को श्रद्धा और गर्व के साथ याद किया.
मुर्रा नस्ल की भैंस भारत की सबसे प्रसिद्ध और अधिक दूध देने वाली नस्लों में गिनी जाती है. यह मुख्य रूप से हरियाणा के हिसार, जींद और भिवानी जिलों में पाई जाती है और अपने उच्च उत्पादन के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है.
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