ऐसा माना जाता है कि सेब की खेती केवल ठंडे प्रदेशों में ही संभव है. लेकिन अब यह बात गलत साबित हो रही है. ऐसे ही सच को साबित किया है बिहार के एक किसान ने जिनका नाम ब्रजकिशोर मेहता है. दरअसल वर्षों पहले जिस इलाके में जाने से लोग थरथराते थे, जिस इलाके को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. आज उसी पहाड़ के खोह में बंजर भूमि को ब्रजकिशोर मेहता ने हरा भरा कर दिखाया है. यहां बात हो रही है बिहार के औरंगाबाद की जहां ब्रजकिशोर मेहता ने सेब की खेती शुरू की है. बिहार और सेब सुनकर आपको ताज्जुब होता होगा, मगर यह बात बिल्कुल सच है.
औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड के रहने वाले किसान ब्रजकिशोर मेहता ने सेब की खेती शुरू की है. उनके लगाए गए सेब के पौधों पर फल आने शुरू हो गए हैं. फल अभी हरे और कच्चे हैं. जैसे ही पककर तैयार हो जाएंगे, वैसे ही लोग इस बिहारी सेब का स्वाद ले सकेंगे. औरंगाबाद का कुटुंबा प्रखंड झारखंड और बिहार के बॉर्डर इलाके में पड़ता है जहां सेब की खेती शुरू की गई है.
यह वही इलाका है जो बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती का हब बना हुआ है. यहां के किसान ब्रजकिशोर मेहता ने सेब की खेती शुरू की है. मेहता ने अपने पांच कट्ठा खेत में सेब के 100 पेड़ लगाए हैं और यहां के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं.
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किसान ब्रजकिशोर मेहता ने बताया कि सेब की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने उद्यान विभाग में ट्रेनिंग ली थी. उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान अन्य किसान दिलचस्पी नहीं दिखाते थे. इसके बावजूद वो ट्रेनिंग से प्रेरित होकर दो बीघा जमीन में केला और पांच कट्ठा जमीन में सेब की खेती की है. वहीं फलों की खेती से एक साल में उनकी बेहतर कमाई भी हो रही है.
किसान ब्रजकिशोर मेहता ने बताया कि उद्यान विभाग से उन्होंने हरमन-99 किस्म के एक सौ पौधे खरीदे थे. इस प्रजाति के सेब की यह खासियत है कि है कि इसे गर्म मौसम में भी उगाया जा सकता है. हरमन-99 किस्म के सेब के पौधे 45 डिग्री तक तापमान सहन करने में सक्षम हैं. यह तीन साल के अंदर फल देना शुरू कर देता है. इसके एक पौधे से तीन साल बाद 25 से 30 किलो सेब की उपज प्राप्त होती है. यहां सेब की खेती करने वाले किसान ब्रजकिशोर मेहता ने बताया कि अनुमानित बाजार भाव से 70 से 75 हजार रुपये की कमाई करने का अनुमान है.
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