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CIRG: किसान की पसंद से ज्यादा दूध देने वाला बच्चा दे रही हैं बकरियां, जानें कैसे 

CIRG: किसान की पसंद से ज्यादा दूध देने वाला बच्चा दे रही हैं बकरियां, जानें कैसे 

बकरी पालन दूध और मीट के लिए पाला जाता है. अगर आपकी जरूरत दूध की है तो आप अपने बाड़े में ज्यादा से ज्यादा दूध देने वाली बकरियों की संख्या बढ़ा सकते हैं. और अगर आप मीट के लिए सिर्फ बकरे ही पालते हैं तो बच्चा वजनदार और तंदुरुस्त होगा. 

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बकरियों का प्रतीकात्मक फोटो. बकरियों का प्रतीकात्मक फोटो.

केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) की मेहनत रंग ला रही है. अब बकरी पालने वाले किसानों को उनकी पसंद और जरूरत के हिसाब से बकरी बच्चे दे रही हैं. अगर किसान को ज्यादा दूध देने वाली बकरी चाहिए तो वो बकरी से उसी तरह के बच्चे पैदा करवा रहे हैं. अगर कोई किसान चाहता है कि उसका बकरा ज्यादा वजन का और तंदुरुस्त हो तो उसे वैसा ही बच्चा मिल रहा है. और यह सब मुमकिन हुआ है सीआईआरजी की आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से. इसका फायदा यह है कि जब आप अपनी बकरी को गर्भवती कराना चाहते हैं उससे पहले उस बकरे और बकरी की मां की हिस्ट्री जान सकते हैं जिससे बकरी गाभिन होने जा रही है. 

सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट के मुताबिक अब यह कोई जरूरी नहीं है कि बकरी को गर्भवती कराने के लिए उसकी मेटिंग बकरे के साथ कराई जाए. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से भी बकरी गर्भवती हो सकती है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी मदद से आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से भी बच्चा पैदा करवा सकते हैं.

मनपसंद बच्चे के लिए ऐसे गर्भवती कराई जाती हैं बकरियां 

सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार ने किसान तक को बताया कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन बकरियों को गर्भवती किया जा रहा है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी को एक अच्छे नस्लीय बकरे का वीर्य मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और स्वास्थ बच्चे को जन्म देती है. दूसरा यह कि किसान जाने-अनजाने में बकरी को गर्भवती कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं. जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरा उस नस्ल का है भी कि नहीं, जिस नस्ल की उनकी बकरी है. बकरे की बीमारियां और उसकी फैमिली के बारे में भी कुछ पता नहीं होता है. 

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वीर्य की स्ट्रॉ के साथ मिलती है बकरे की पूरी जानकारी 

चेतना गंगवार ने यह भी बताया कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन से बकरी को गर्भवती कराने के लिए संस्थान वीर्य की स्ट्रॉ बेचता है. नस्ल  सुधार कार्यक्रम के तहत यह स्कीम चलाई जा रही है. एक स्ट्रॉ की कीमत 25 रुपये होती है. जबकि किसान जब बकरी को लेकर बकरे के पास जाता है तो उसे 150 से 200 रुपये देने होते हैं. स्ट्रॉ के साथ एक सुविधा यह भी है कि किसान को उस बकरे और उसकी मां के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी जिसके वीर्य की वो स्ट्रॉ है. 

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इससे किसान को पता चल सकेगा कि बकरे की मां कितना दूध देती थी. खुद बकरे का वजन कितना था. वो फुर्तीला और बीमारियों से मुक्त था या नहीं. और इतना ही नहीं संस्थान एक से ज्यादा बकरों के वीर्य की स्ट्रॉ अपने स्टाक में रखता है. इसलिए अगर आपको एक बकरा पसंद नहीं आया तो दूसरे और दूसरा नहीं तो तीसरे, चौथे समेत कई बकरों के बीच वीर्य का चुनाव कर सकते हैं.  

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