AI Tractor: अब बिना ड्राईवर खेतों में दौड़ेगा ट्रैक्टर, किसानों को मिलेगी सेल्फ ड्राइविंग तकनीक से मदद

AI Tractor: अब बिना ड्राईवर खेतों में दौड़ेगा ट्रैक्टर, किसानों को मिलेगी सेल्फ ड्राइविंग तकनीक से मदद

AI तकनीक से लैस सेल्फ-ड्राइविंग ट्रैक्टर भारतीय खेती में क्रांति ला रहा है. जानिए कैसे यह स्मार्ट ट्रैक्टर बिना ड्राइवर के खेत की जुताई करके उत्पादन बढ़ा रहा है और किसानों की मेहनत को कर रहा है आसान.

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अब बिना ड्राईवर खेतों में दौड़ेगा ट्रैक्टर, किसानों को मिलेगी सेल्फ ड्राइविंग तकनीक से मददअब बिना ड्राइवर के खेतों में दौड़ेगा ट्रैक्टर

भारतीय खेती एक नए युग की ओर बढ़ रही है. जहां एक तरफ टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ ला रही हैं, वहीं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने देश का पहला AI तकनीक से लैस सेल्फ-ड्राइविंग ट्रैक्टर पेश करके किसानों को तकनीकी ताकत देने की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है.

बिना ड्राइवर के खेत की जुताई

PAU के रिसर्च फील्ड में बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर ने खेत की जुताई करके सबको चौंका दिया. यह ट्रैक्टर GPS, सेंसर और टचस्क्रीन कंट्रोल पैनल से लैस है, जिससे यह खेत का आकार, जुताई की दिशा और बाधाओं की पहचान कर सकता है. एक बार निर्देश देने के बाद, यह ट्रैक्टर पूरी जुताई खुद-ब-खुद करता है, और ऑपरेटर को दोबारा दखल देने की ज़रूरत नहीं होती.

GNSS आधारित ऑटो-स्टीयरिंग सिस्टम

यह ट्रैक्टर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) की मदद से चलता है. इससे इसे डिस्क हैरो, कल्टीवेटर और स्मार्ट सीडर जैसे उपकरणों से जोड़ा जा सकता है. यह सिस्टम ट्रैक्टर को सटीक दिशा में चलने में मदद करता है, जिससे मानवीय गलती की संभावना कम हो जाती है.

कम विजिबिलिटी में भी करता है काम

इस ट्रैक्टर की खासियत यह है कि यह कम रोशनी या धुंध में भी सटीक तरीके से काम करता है. एक बार खेत की जानकारी फीड करने के बाद, ट्रैक्टर खुद ही तय दिशा में चलता है और मानव थकान, समय और संसाधनों की बर्बादी को कम करता है. एक प्रयोग में पाया गया कि इससे 12% तक फील्ड क्षमता में वृद्धि, 85% थकान में कमी, और 40% तक श्रम की बचत होती है.

मैन्युअल और ऑटोमैटिक मोड की सुविधा

इस ट्रैक्टर में ऑपरेटर को एक बटन से मैन्युअल और ऑटोमैटिक मोड के बीच स्विच करने की सुविधा मिलती है. ट्रैक्टर में ISOBUS- आधारित कंसोल होता है, जो ऑटो टर्न, स्किप-रो और कस्टम टर्न पैटर्न जैसे फीचर्स को सपोर्ट करता है. ISOBUS एक अंतरराष्ट्रीय मानक है जिसे खेती की मशीनों के लिए डिजाइन किया गया है.

किसानों को होंगे ये फायदे

  • AI ट्रैक्टर से किसानों को कई फायदे मिलते हैं:
  • जुताई में ओवरलैप की समस्या घटती है (12% से घटकर 1% तक)
  • छूटे हुए हिस्से भी कम होते हैं (7% से घटकर 1% से कम)
  • ±3 सेमी तक की सटीकता से खेती होती है
  • खर्च और समय दोनों की बचत होती है
  • थकान और मानवीय गलतियाँ बेहद कम हो जाती हैं

भारतीय खेती का डिजिटल भविष्य

यह तकनीक पंजाब से शुरू होकर पूरे भारत में फैल सकती है. PAU इसे देश के अलग-अलग कृषि मेलों और प्रदर्शनियों में किसानों को दिखाएगा ताकि वे इसके फायदे को समझ सकें.

डॉ. गोसल के अनुसार, यह तकनीक विदेशों में पहले से लोकप्रिय है और भारत में इसकी मांग बढ़ने पर ट्रैक्टर निर्माता कंपनियाँ भी इसे अपनाएंगी.

स्मार्ट खेती की ओर पहला कदम

AI तकनीक से लैस यह सेल्फ-ड्राइविंग ट्रैक्टर सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि भारत की स्मार्ट खेती की दिशा में पहला ठोस कदम है. इससे न सिर्फ किसानों का काम आसान होगा, बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा और खेती और भी लाभदायक बन सकती है.

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