झारखंड का गढ़वा तीन राज्यों का सीमावर्ती जिला है. इस जिले से एक तरफ उत्तर प्रदेश, दूसरे तरफ छत्तीसगढ़ तो तीसरे तरफ बिहार की सीमा लगती है. यंहा का मुख्य पेशा क़ृषि है. वहीं, गढ़वा और उत्तर प्रदेश बॉडर पर स्थित श्रीबंशीधर नगर का एक किसान इन दिनों काफी चर्चा में है, क्योंकि इस वृद्ध प्रगतिशील किसान ने धान, गेंहू और मक्का जैसे परम्परागत खेती में हो रहे कम आमदनी को अब आधुनिक तकनीक से खेती करके पूरे जिले में चर्चा और प्रेरणा का विषय बने हुए है.
ह्रदयनाथ चौबे जो गढ़वा जिले के पाल्हे कला गांव के निवासी हैं. वे पहले सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक थे और अब एक प्रगतिशील किसान हैं. वो अब जिले में आधुनिक तरीके से डेढ़ एकड़ में ग्राफ्टिंग तकनीक से टमाटर और बैंगन की खेती कर चर्चा में आए है. इनके खेती को पूरे झारखंड के किसान आज अपना रहे है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से 10 रुपये प्रति पौधे की दर से ग्राफ्टेड पौधे मंगवाए हैं. इन पौधे को टपक सिंचाई और बेड बनाकर मल्चिंग पेपर पर लगाया है, जिससे बरसात में खरपतवार की भी समस्या नहीं होगी.
उन्होने बताया कि ग्राफ्टेड पौधा सामान्य पौधों से दोगुना उत्पादन भी देता है और अलग-अलग बीमारियों के प्रति सहनशील भी होता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है. इस पौधे की सबसे खास बात ये होती है कि इसे किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है. ऑफ सीजन लगाने पर किसानों को इसके अच्छे रेट मिलते हैं जिससे अधिक मुनाफा होता है.
किसान हृदय नाथ चौबे का कहना है कि धान और गेहूं का उत्पादन कर किसान एक एकड़ से 30 हजार रुपये से अधिक की बचत नहीं कर सकते हैं, जबकि आधुनिक तरीके से सब्जियों वाली फसल का उत्पादन किया जाय तो किसान प्रति एकड़ दो से तीन लाख रुपये तक कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि सब्जियों को लगाने में किसानों के केवल एक ध्यान रखना होगा कि ऑफ सीजन में खेती करें. क्योंकि आप कोई भी फसल उगा लें, जब तक उस उत्पाद का रेट अच्छा नहीं होगा आमदनी अच्छी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक से ग्राफ्टेड टमाटर और बैंगन लगाने में डेढ़ एकड़ में करीब दो से तीन लाख रुपये खर्च हो गए हैं.
गढ़वा के जिला क़ृषि पदाधिकारी, शिव शंकर प्रसाद ने बताया की यह तकनीक छत्तीसगढ़ में काफी प्रचलित है. टमाटर, बैंगन, मिर्च और शिमला मिर्च पर यह प्रयोग पूर्ण रूप से सफल है. ग्राफ्टेड बैंगन और टमाटर को जंगली बैंगन पर ग्राफ्टिंग किया जाता है. चुकि जड़ जंगली बैंगन का होता है जिसके कारण ग्राफ्टिंग पौधों में जड़ संबंधी बीमारी नहीं लगता है और पौधे का विकास भी सामान्य पौधे की तुलना में काफी जबरदस्त होता है. वहीं, इसमें उत्पादन भी दुगना होता है और ग्राफ्टेड पौधा किसी भी प्रकार के मौसम को झेलने में भी सक्षम होता है, जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है. उन्होंने कहा कि हम किसानों को इस तकनीक की जानकारी देंगे. (चंदन कुमार कश्यप की रिपोर्ट)
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