भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने अपने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को बंद करने का फैसला लिया है. यह प्रोग्राम दो साल पहले 'अकादमिक हब मॉडल' के तहत शुरू किया गया था, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के विभिन्न संस्थानों में चलाया जा रहा था. अब सिर्फ असम और झारखंड स्थित आईएआरआई केंद्रों में 60-60 सीटों के साथ कुल 120 सीटें ही शेष रहेंगी. यह फैसला कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के कड़े ऐतराज के बाद लिया गया. जून में आईसीएआर की वार्षिक आमसभा में उन्होंने कहा था कि इन अंडरग्रेजुएट कोर्सों की वजह से संस्थानों का मुख्य शोध कार्य प्रभावित हो रहा है.
उन्होंने सवाल उठाया था कि जब आईसीएआर का प्राथमिक उद्देश्य अनुसंधान है, तो इन कोर्सों को चलाने की अनुमति कैसे दी गई. 'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने पुष्टि की कि आईएआरआई अकादमिक परिषद ने 16 जुलाई को चौहान के आईसीएआर अध्यक्ष के रूप में निर्णय को मंजूरी दे दी और 30 जुलाई को सभी संबंधित केंद्रों को इसकी सूचना भेज दी गई.
नई व्यवस्था के तहत 2025-26 सत्र से दिल्ली स्थित आईएआरआई और बाकी सभी अकादमिक हब्स में यूजी प्रोग्राम बंद कर दिए जाएंगे. सिर्फ असम और झारखंड केंद्रों में 60-60 सीटें जारी रहेंगी. भविष्य में इन सीटों की संख्या उपलब्ध संसाधनों के अनुसार बदली जा सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, आईएआरआई ने यह भी निर्णय लिया है कि अब ये हब संस्थान डिप्लोमा और वोकेशनल कोर्स आईएआरआई के सहयोग से चला सकेंगे. पहले से दाखिल छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वे अपनी डिग्री पूरी कर सकेंगे. इसके अलावा, आईएआरआई एक समिति बनाएगा जो इन केंद्रों की प्रगति की निगरानी करेगा.
आईएआरआई ने 2025-26 से 'स्टूडेंट रिसर्च पार्टनर (SRP)' नाम की नई पहल शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके तहत पीजी और पीएचडी छात्रों में से 20 फीसदी को रिसर्च के लिए एसआरपी मॉडल में शामिल किया जाएगा. रिसर्च का विषय आपसी सहमति से तय होगा और दो संस्थानों के गाइड्स मिलकर निगरानी करेंगे.
आईएआरआई को यह निर्देश भी मिला है कि रांची स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी (IIAB), रायपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एबायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट (NIASM) और बारामती स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट (NIBSM) को ऑफ-कैंपस अकादमिक उपयोग के लिए जोड़ा जाए. साथ ही इन संस्थानों को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने के लिए कोशिशें की जाएं.
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