बीते तीन महीने किसानी के लिए बहुत भारी रहे. जनवरी महीने में पाला पड़ने से किसानों की फसलें खराब हुईं तो फरवरी में सामान्य से अधिक तापमान ने किसानों के माथे पर पसीना ला दिया. किसान इस परेशानी से उबरने लगे थे कि मार्च के महीने में कई बार की बारिश, आंधी और ओलावृष्टि ने फसलों को चौपट कर दिया. फसल खराब होने के बाद अब किसान मुआवजे के लिए भटक रहा है. लेकिन अब सरकारें सेटेलाइट से फसल खराबे की गणना करने की बात करने लगी है. पीएम फसल बीमा योजना में भी बीमा कंपनियां सेटेलाइट से खराबे के बारे में सूचना इकठ्ठा करने की बात कहती रही हैं.
हेक्सागन नाम की एक कंपनी भी इसी क्षेत्र में काम कर रही है. ये कंपनी सरकारों को सेटेलाइट बेस्ड तस्वीरें उपलब्ध कराती है. इससे खराबे का सही-सही आकलन करने में मदद मिलती है.
हेक्सागन नाम की यह कंपनी खेती में सेटेलाइट बेस्ड मॉनिटरिंग सॉल्यूशन देती है. सेटेलाइट हर सात-सात दिन में खेतों की फोटोग्राफ भेजता रहता है. कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव सुमित किसान तक को बताते हैं कि इन फोटोग्राफ की मदद से बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों को फील्ड पर बार-बार जाने की जरूरत नहीं रहती. सेटेलाइट से मिली जानकारी से वे खेतों में हुए खराबे का आकलन कर सकते हैं. चूंकि बीमा कंपनियां लगातार मॉनिटरिंग करती रहती हैं, इसीलिए तस्वीरों के आधार पर वे पहले और खराबे के बाद वाली स्थिति का आकलन करते हैं.
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समय की बचत के साथ-साथ खराबे के आकलन जल्दी होता है. इससे किसानों को मुआवजा भी जल्दी मिल सकता है.” सुमित जोड़ते हैं, “ फिलहाल इस सर्विस का इस्तेमाल बहुत कम स्तर पर किया जा रहा है. लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ेगा और राज्य सरकारें भी खेती में सेटेलाइट का इस्तेमाल करने लगेंगी.”
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कंपनी से सेल्स एक्जीक्यूटिव सुमित बताते हैं, “खेती में लैंड लेवलिंग बेहद जरूरी चीज है. अगर खेतों की जमीन समतल होगी तो फसल भी अच्छी पैदा होगी. साथ ही सिंचाई भी अच्छी तरह से हो सकेगी. अगर सिंचाई अच्छी होगी तो खेत में पैदावार भी बेहतर होगी. इसीलिए हम लैंड लेवलिंग मशीनें उपलब्ध कराते हैं. क्योंकि आज भी देश में लाखों किसान हाथों से खेतों को तैयार करते हैं. इससे खेत कहीं ऊंचे तो कहीं नीचे रह जाते हैं. इसके कारण सिंचाई नहीं हो पाती है और फसल का उत्पादन कम हो जाता है.”
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