किसानों के लिए वरदान है ‘बलराम’ ऐप, खेती-बाड़ी से लेकर फसल कटाई तक की मिलेगी जानकारी

किसानों के लिए वरदान है ‘बलराम’ ऐप, खेती-बाड़ी से लेकर फसल कटाई तक की मिलेगी जानकारी

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा ने बलराम ऐप को लेकर कहा कि किसानों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण ऐप है. इस ऐप को टू-वे कम्यूनिकेशन टेक्निक के तहत तैयार किया गया है.

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किसानों के लिए वरदान है ‘बलराम’ ऐप, खेती-बाड़ी से लेकर फसल कटाई तक की मिलेगी जानकारीकिसानों के लिए वरदान है ‘बलराम’ ऐप, फोटो साभार: freepik

मध्य प्रदेश के किसानों को आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी देने और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए बलराम ऐप तैयार किया गया है. इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह टू-वे कम्युनिकेशन करता है. दरअसल इस ऐप को पहले चरण में राज्य के दस जिलों में लांच किया जाएगा. इस इंडो-जर्मन के संयुक्त प्रोजेक्ट को रन करने की जिम्मेदारी प्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय को दी गई है. इसको लेकर जीआईजे, नई दिल्ली के नवीन होरो ने बताया कि इस डिजिटल प्लेटफार्म में मिट्टी को स्वस्थ और हेल्दी रखने के साथ ही खेती से जुड़ी अलग-अलग प्रकार की समस्याओं को भी साझा करने और उनके समाधान के लिए तैयार किया गया है.

इस पहल से ऐसा पहली बार होगा कि किसान राज्य सरकार की कोई भी एडवाइजरी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे और साथ ही अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों से सामने से सवाल पूछ सकेंगे.

इन जिलों को किया गया शामिल

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित की जा रही इस ऐप को पहले फेस यानी खरीफ के सीजन के समय, सागर, रीवा, शहडोल, जबलपुर, सिंगरौली, मंडला, बालाघाट, कटनी, दमोह और छतरपुर जिले को शामिल किया गया है.

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हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में पूछ सकते हैं सवाल

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा ने इस ऐप को लेकर कहा कि किसानों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण ऐप है. इस ऐप को टू-वे कम्यूनिकेशन टेक्निक के तहत तैयार किया गया है. साथ ही इसके हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में होने से किसानों को सवाल पूछने में भी समस्या का सामना नहीं करना पडेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इस ऐप से दस जिले के किसानों को जोड़ा जा रहा है.

25 हजार किसानों को जोड़ा जाएगा

इस परियोजना के प्रभारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनय रावत ने बताया ऐप में कृषि से संबंधित हर तरह की जानकारी मौजूद होगी. इसमें प्रदेश स्तर, जिला स्तर, विकासखंड और ब्लॉक स्तर की जानकारी मौजूद रहेगी. इसमें पहले चरण में 10 जिलों के 25 हजार किसानों को जोड़ा जाएगा. साथ ही इसके लिए जबलपुर में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों को तकनीकी तौर पर तैयार करके मास्टर ट्रेनर बनाया जा रहा है. वहीं इसमें विश्वविद्यालय के डॉ. डीके पहलवान, डॉ. यतिराज खरे और डॉ. टीआर शर्मा का भी विशेष योगदान है.

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