उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने राज्य में कृषि क्षेत्र की विकास दर को डबल डिजिट में पहुंचाने के लिए गेहूं, धान, दलहन एवं तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है. इन फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है. यह समिति तीन सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी इसके आधार पर सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने की कार्य योजना बनाएगी.
राज्य के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि योगी सरकार, राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्राथमिक सेक्टर में शामिल कृषि, बागवानी, पशुपालन, गन्ना तथा अन्य सहवर्ती क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रही है. इसके लिए अगले 3 वर्षों में विकास दर को डबल डिजिट में पहुंचाने के लिए अपनी कार्य योजना तैयार की जा रही है. इस दृष्टि से कृषि विभाग ने प्रदेश की चार प्रमुख फसलों गेहूं, धान, दलहन एवं तिलहन का उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस किया है.
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि विभाग गेहूं, धान, दलहन, तिलहन के उत्पादक जिलों में इन फसलों की उपज के स्तर में अत्यधिक भिन्नता को देखते हुए कम उत्पादकता वाले जिलों पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगी. इसके लिए इन चारों फसलों के सर्वाधिक उत्पादन वाले 3 जिलों को तथा न्यूनतम उत्पादकता वाले 3 जिलों के उप निदेशकों और कृषि अधिकारियों की मौजूदगी वाली 4 समितियां गठित कर रही है. ये समितियां 3 सप्ताह के भीतर उत्पादन तथा उत्पादकता के अंतर के कारणों की समीक्षा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी. यह रिपोर्ट कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और कृषकों से विचार-विमर्श कर तैयार की जाएगी. इस रिपोर्ट काे कृषि निदेशक के समक्ष पेश किया जाएगा. इसके आधार पर आगे की रणनीति बनेगी.
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शाही ने कहा कि प्रदेश में इन चार प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन के आंकड़ों की भिन्नता के कारणों का पता लगाने के साथ ही सरकार कृषि से जुड़े अन्य विभागों के साथ भी समन्वय कायम कर कृषि क्षेत्र की आर्थिक मजबूती की रणनीति बनाएगी. इसके लिए बागवानी, पशुपालन, गन्ना, राजस्व, नियोजन, सांख्यिकी तथा अन्य विभागों के मंत्रियों तथा अपर मुख्य सचिवों की समन्वय बैठक की जाएगी. जिसमें आंकड़ों में भिन्नता को ठीक करने संबंधी कार्य योजना तैयार की जाएगी.
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में मोटे अनाजों (मिलेट्स) का उत्पादन बढ़ाने पर भी सरकार का पूरा जोर है. इसके उपायों की पर्याप्त जानकारी जुटाने के लिए राज्य सरकार की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल को कल बेंगलुरु भेजा जा रहा है. यह अध्ययन दल मोटा अनाज पर आयोजित होने वाली इंटरनेशनल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस तथा अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में संबंधित जानकारियां एकत्र करेगा. यह दल इस बात का भी अध्ययन करेगा कि कृषि क्षेत्र की प्रगति में, आपदा प्रबंधन में तथा सेटेलाइट के माध्यम से फसल प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग द्वारा कैसे आधुनिकता लाई जा सकती है. इस अध्ययन दल में प्रदेश के उद्यान मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग के एक सचिव तथा एनआईसी के एक अधिकारी शामिल होंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि योगी सरकार द्वारा लगातार यह प्रयास किए जा रहे हैं कि किसानों के हित की योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन प्राथमिकता से किया जा रहा है. इस दृष्टि से राज्य पोषित पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना के लिए लगभग 45 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त शीघ्र जारी कर दी जाएगी. इस योजना के अंतर्गत लैंडस्कैपिंग, वॉटर शेड मैनेजमेंट, भूमि समतलीकरण और बंधों का निर्माण करा कर अनुसूचित जाति, जनजाति तथा सीमांत किसानों को पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराई जाती है.
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शाही ने बताया कि प्रदेश में गंगा नदी के आसपास पांच-पांच किलोमीटर के क्षेत्र में प्रस्तावित प्राकृतिक खेती के लिए चिन्हित किए गए 27 जिलों के लिए 47 करोड़ 46 लाख रुपये की धनराशि शीघ्र जारी की जाएगी. इसके साथ ही राज्य पोषित एग्री-जंक्शन स्कीम में 6 करोड़ 45 लाख रुपयों की राशि जारी की जा रही है. इस योजना के अंतर्गत कृषि स्नातकों को 42 हजार रुपये का एग्री स्टार्टअप अनुदान दिया जाता है. इसके तहत कृषि स्नातकों द्वारा बीज, फर्टिलाइजर तथा कृषि यंत्र से संबंधित दुकानों के लिए अनुदान लिया जाता है.
बैठक में मौजूद अपर मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि किसानों को सौर ऊर्जा से सिंचाई की सुविधा देने के लिए पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत अनुदान पर लगाए जाने वाले 12.5 हजार सोलर पंपों के लिए सरकार का पोर्टल आज से खुल गया है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर पंजीकरण की प्रक्रिया मंडल वार 3 चरणों में पूरी की जाएगी. पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 4 मंडल, द्वितीय चरण में मध्य क्षेत्र के 7 मंडल तथा तृतीय चरण में पूर्व के 7 मंडल शामिल किए गए हैं.
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