उत्तर प्रदेश में धान की खरीद जारी है. इस बीच किसानों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद में लापरवाही की शिकायतें मिलने पर सरकार ने पूरी पारदर्शिता से धान की खरीद करने के सख्त निर्देश दिए हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि विभाग के अधिकारियों को मूल्य समर्थन योजना के तहत धान खरीद प्रक्रिया को पूरी तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ संचालित करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है. यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की असुविधा न हो.
वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत 18 जनवरी, 2023 तक 56 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है. धान की यह खरीद 8 लाख 98 हजार 666 किसानों से की गई है.जो कुल लक्ष्य का 85 फीसदी है.
पिछले साल इस अवधि में 08 लाख 24 हजार 720 किसानों से 52.51 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी. इस प्रकार गत वर्ष के सापेक्ष इस वर्ष अब तक 3.58 लाख मीट्रिक टन अधिक धान की खरीद की गयी है. प्रवक्ता ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में की गई धान की खरीद की तुलना में अब तक किसानों को धान के मूल्य के रूप में 9697.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. यह कुल धान मूल्य का 85 प्रतिशत है. पिछले साल इसी अवधि में धान की खरीद पर किसानों को 7,948.32 करोड़ रुपये मूल्य का भुगतान किया गया था. यह कुल धान मूल्य का 78 प्रतिशत था.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी 2023 एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में 28 फरवरी 2023 तक धान की खरीद की जाएगी. वही मोटे अनाज के अंतर्गत पहली बार प्रदेश में खाद्य एवं रसद विभाग की विपणन शाखा के द्वारा 18 जनपदों में 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक 106 क्रय केंद्रों के माध्यम से बाजरे की खरीद की गई. यूपी देश का प्रमुख धान उत्पादक राज्य है. हालांकि इस बार धान की खेती पर सूखे की मार भी पड़ी थी. जिसमें पूर्वी यूपी के कई हिस्सों में मानसून की बेरुखी की वजह से धान की फसल प्रभावित हुई थी.
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