
यूपी की बाराबंकी जेल में धारा 302 समेत कई बड़े अपराधों में कैदी बंद हैं. ये ऐसे कैदी हैं जिन्होंने जरायम की दुनिया में काले कारनामे किए हैं. लेकिन अब इनका हृदय परिवर्तन कराया जा रहा है. अब वे ऐसे-ऐसे काम कर रहे हैं जो किसी अन्नदाता का होता है. यानी कि खेती. खेती भी साधारण नहीं, बल्कि ऐसी खेती जिससे पैसे के साथ नाम भी बढ़ता है. यह खेती है स्ट्रॉबेरी की. खबर कुछ यूं है कि बाराबंकी जेल में बंद कैदी अब आम लोगों के स्वाद बढ़ाने के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसने पूरे इलाके में एक नजराना पेश किया है.
बाराबंकी जिला कारागार में तकरीबन 1600 से ज्यादा कैदी बंद हैं. कुछ महीनों से ये कैदी लाल-लाल खूबसूरत स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. अब इस खेती का फल मिलने लगा है क्योंकि स्ट्रॉबेरी के फल तैयार हो गए हैं. खेती भी आधुनिक टेक्निक से की गई है और बेड बनाकर स्ट्रॉबेरी उगाई गई है. अब इन फलों की पैकिंग कर बाजार में बेचने की तैयारी हो रही है जिससे अच्छी आमदनी होगी. दरअसल, बाराबंकी जिला जेल में कौशल विकास का कार्यक्रम चलाया गया जिसके अंतर्गत स्ट्रॉबेरी की खेती की गई. इसके अलावा यहां के कैदियों को आधुनिक और उन्नत खेती करने के तरीके सिखाए जा रहे हैं.
बाराबंकी जेल के एक बीघा खेती में स्ट्रॉबेरी के फल आ गए हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि यूपी में पहली बार किसी जेल में स्ट्रॉबेरी की खेती में कैदियों को प्रशिक्षित किया रहा है. बंदियों को यहां से निकलने के बाद कोई परेशानी न हो, इसलिए कौशल विकास के तहत स्ट्रॉबेरी की खेती में ट्रेंड किया जा रहा है. खेती करने वाले कैदियों ने बताया कि दस साल से वे जेल में बंद हैं और जब कैद से छूटेंगे तो कुछ काम नहीं मिलेगा. तब वे उन्नत खेती कर अपना जीवन यापन करेंगे.
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आइए बाराबंकी जेल में हो रही खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं. जेल की रोटी खाने की कहावत तो आपने बहुत सुनी होगी. लेकिन अब आपको जेल की लजीज लाल स्ट्रॉबेरी खाने को मिलेगी. जी हां, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िला कारागार में बंद खतरनाक कैदियों ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक नई मिसाल पेश की है. ये फल पहाड़ी इलाकों की पैदावार है और इसकी खेती मैदानी इलाकों में करना बहुत मुश्किल काम होता है. लेकिन जिला कारागार के जेल अधीक्षक और जेलर ने कौशल विकास मिशन के तहत इन कैदियों को प्रशिक्षित कर एक नई जिंदगी देने का प्रयास किया है.
बाराबंकी जेल यूपी की ऐसी पहली जेल है जहां स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. अलग-अलग जुर्म में सजा काट रहे 1600 कैदियों की तकदीर संवारने के लिए यूपी सरकार की कौशल विकास मिशन योजना के तहत यहां कैदियों को उन्नतशील खेती के गुर सिखाये जा रहे हैं. जिला कारागार में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत सजा पाए कैदी शेरबहादुर, मंजीत, मुकेश और इनके अन्य साथियों ने जिला जेल अधीक्षक पीपी सिंह की सलाह पर जेल की लगभग एक बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. इनको खेती करने का तरीका कौशल विकास मिशन के तहत सिखाया गया.
अक्टूबर महीने में इन लोगों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर खेत की सिंचाई की, फिर स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाने के लिए बेड तैयार किया. उसमें स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाया. लगभग 4 महीने में फसल तैयार हो गई. इसकी पैकिंग का काम भी शुरू हो गया. इसकी पैकिंग में कृषि उत्पाद, जिला कारागार का स्टिकर लगाकर बाजार और मॉल में सप्लाई कर बेचने की तैयारी शुरू हो गई है. इससे जो मुनाफा होगा, उसे जिला जेल के को-ऑपरेटिव में जमा करके कैदियों का विकास किया जाएगा.
स्ट्रॉबेरी का पौधा हिमाचल प्रदेश और महाबालेश्वर जैसी जगहों से मंगवाया जाता है. 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक इसकी रोपाई का समय है, लेकिन अगर अक्टूबर के आखिर तक इसे लगा दिया जाए तो पैदावार बहुत अच्छी होती है. इसके एक पौधे में 800 ग्राम से एक किलो तक फल आते हैं. इस फसल में बचत मौसम पर भी निर्भर करता है, लेकिन किसानों को घाटा नहीं हो सकता. पहले स्ट्रॉबेरी की मंडी और बाजार ढूंढ़ना पड़ता था, लेकिन अब व्यापारी खुद तलाशते हैं. यानी अब मंडी और बाजार की समस्या नहीं रह गई है. इस फसल से कारागार में बंद कैदियों के आर्थित हालत सुधरेंगे. अब स्ट्रॉबेरी का बाजार भी काफी बड़ा हो गया है. इससे स्ट्रॉबेरी बेचने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता.
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले कैदी शेरबहादुर कहते हैं कि हम धारा 302 के तहत यहां 10 साल से बंद हैं. बाहर जाएंगे तो रोजगार मिलने की उम्मीद कम है. इसलिए हम लोग यहां उन्नत खेती के तरीके सीख रहे हैं. हमारे पास खेती की ज़मीन है, उसमें स्ट्रॉबेरी की खेती कर हम अच्छा काम करेंगे. वही कैदी मंजीत और मुकेश कहते हैं कि वे 302 में 10 साल से बंद हैं. यहां खेती की तकनीक सीखकर उनकी जिंदगी में बदलाव आया है. जब वे जेल से छूटेंगे तो स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे और गांव के लोगों को भी इसकी खेती का तरीका बताएंगे.
जेल अधीक्षक पीपी सिंह और जेलर आलोक शुक्ला ने बताया कि यूपी की बाराबंकी जेल में स्ट्रॉबेरी की खेती पहली बार हो रही है.
इसकी देखरेख का जिम्मा यहां के कैदियों पर रहता है. अब स्ट्रॉबेरी के फल पकने लगे हैं और यह फसल लगातार फरवरी तक रहती है. जिला कारागार कृषि उत्पाद के नाम से पैकिंग कर इसे बाजार और मॉल में बेचा जाएगा. इससे अच्छा मुनाफा आने की उम्मीद है. यहां कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को उन्नत खेती की तरकीब सिखाई जा रही है.
धारा 302 के सजयाफ्ता कैदी मंजीत कहते हैं, हमने स्ट्रॉबेरी की खेती से बहुत सीखा है, इसकी खेती में मुनाफा है, पैदावार भी ज़्यादा होती है. स्ट्रॉबेरी बाजार में 400-500 रुपये किलो बिक जाती है. इसमें हम लोगों ने गोमूत्र, कीटनाशक दवाएं समेत कई चीज़ें डाली हैं. फसल की चार महीने से लगातार देख रेख कर रहे हैं. अब फल आने लगा है. 302 में ही बंद शेर बहादुर कहते हैं. हमारे यहां कुछ खेती है. बाहर निकल कर जब जाएंगे तो यही खेती करेंगे. कुछ यही बात उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी मुकेश कहते हैं.
जेलर आलोक शुक्ला का कहना है कि कौशल विकास के तहत कई काम जेल में चल रहे हैं. उसमें कैदियों को उन्नत खेती और व्यावसायिक खेती सिखाने का निर्णय लिया गया है. बाराबंकी राजधानी लखनऊ से सटा हुआ है. यहां स्ट्रॉबेरी की खेती होती है जिसे बाजार आसानी से मिल जाता है. कई बंदी हमारे ऐसे हैं जिनके पास खेती की ज़मीन कम है. शुक्ला कहते हैं, हम चाहते हैं कि कैदी कम जमीन में अच्छी और मुनाफे वाली उपज पैदा कर सकें. इसके लिए इन्हें उन्नत खेती की ट्रेनिंग दी गई है जिसमें स्ट्रॉबेरी की खेती सिखाई जा रही है.
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स्ट्रॉबेरी की अच्छी खेती करने और कैदियों को ट्रेनिंग देने के लिए एनजीओ की मदद ली गई है. इससे कम क्षेत्रफल में ही खेती करके अधिक मूल्य की उपज ली जा सकती है. स्ट्रॉबेरी की खेती अक्टूबर में शुरू की गई थी और गोबर की खाद और कीटनाशक दवाएं डालकर इसका बेड बनाया गया है. स्ट्रॉबेरी का पौधा हिमाचल प्रदेश से मंगवा कर लगाया गया था. इसकी खेती पहाड़ों पर होती है, लेकिन इसका एक प्रयोग बाराबंकी में किया गया जो सफल हुआ है. अब पैकिंग कर बाजारों में उपज भेजी जा रही है.
जेल अधीक्षक पीपी सिंह कहते हैं कि जेल में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए एनजीओ का सहयोग लिया जा रहा है. यूपी की जेल में पहली बार और देश की भी किसी जेल में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. इसमें कैदियों को सिखाया जा रहा है कैसे स्ट्रॉबेरी को लगाते हैं, कैसे पैदावार ली जाती है और कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है. स्ट्रॉबेरी में जो खाद, कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है, जेल की गौशाला के गोबर और गोमूत्र से बनाई जा रही है.(रिपोर्ट-रेहान मुस्तफा)
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