Monsoon Farming Tips: भारी बारिश से फसलों को हो रहा है नुकसान? बचाने के लिए अपनाएं ये कारगर तरीके

Monsoon Farming Tips: भारी बारिश से फसलों को हो रहा है नुकसान? बचाने के लिए अपनाएं ये कारगर तरीके

बारिश जब जरूरत से ज्यादा हो जाए तो फसलों को बर्बाद करती है. खेतों में जलजमाव से फसलें खराब जाती हैं. भारी बारिश किसान की मेहनत को बर्बाद कर देती है. इसलिए जरूरत ज्यादा बारिश से बचने के लिए किसानों को कुछ उपाय अपनाने चाहिए.

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भारी बारिश से फसलों को बचाने के लिए अपनाएं ये तरीकेबारिश में खेती को ऐसे बचाएं (Photo Credit: Getty)

देश भर में भारी बारिश हो रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में जलभराव की स्थिति बन गई है. लगातार हो रही बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. किसानों की भारी बारिश से नुकसान झेलना पड़ रहा है. भारी बारिश से खेतों में जलजमाव होता है और फसलों को भारी नुकसान होता है. 

भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी देश की बड़ी आबादी खेती करती है. बारिश अच्छी हो तो खेत सोना उगलते हैं लेकिन जब बारिश जरूरत से ज्यादा हो जाए तो यही बरसात किसानों के लिए मुसीबत बन जाती है. हाल के सालों में कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थितियों ने किसानों की मेहनत को पानी में बहा दिया. इस साल बारिश ने किसानों का ज्यादा नुकसान किया है. ऐसे में जरूरी है कि भारी बारिश के समय किसानों को फसलों को बचाने के लिए कुछ उपाय जरूर करने चाहिए. आइए उस बारे में जानते हैं.

भारी बारिश से फसलों को नुकसान क्यों?

  • खेतों में पानी लंबे समय तक भरा रहने से पौधों की जड़ें ऑक्सीजन नहीं ले पातीं और सड़ने लगती हैं.
  • धान जैसी फसलों को छोड़कर ज्यादातर अनाज और सब्जियां ज्यादा पानी सहन नहीं कर पातीं हैं. ऐसी फसलें ज्यादा पानी से खराब होने लगती हैं.
  • तेज बारिश से खेत की ऊपरी उपजाऊ मिट्टी बह जाती है. इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है और फसल का उत्पादन घटने लगता है.
  • मक्का, गन्ना, अरहर और सरसों जैसी लंबी फसलें तेज हवाओं और बारिश से गिर जाती हैं. इससे पैदावार कम होती है और कटाई में भी दिक्कत आती है.
  • ज्यादा बारिश से खेत में बोए गए बीज सड़ जाते हैं. नई पौध गलकर खराब हो सकती है. ज्यादा बारिश खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है.
  • खेत में नमी ज्यादा होने पर फफूंद और कीट तेजी से फैलते हैं. पत्तियों पर दाग, जड़ गलन और तना सड़न जैसी बीमारियां ज्यादा देखने को मिलती हैं.

फसलों को बचाने के लिए क्या करें?

निकासी की व्यवस्था

खेतों में पानी निकालने के लिए नालियां बनाएं. याद रखें कि इस काम को मानसून आने से पहले ही कर लेना चाहिए. निकासी व्यवस्था होन से भारी बारिश से जमा हो रहा पानी खेत से बाहर निकल जाएगा. खेत से अतिरिक्त पानी आसानी से बाहर निकल जाएगा और पौधों की जड़ें सुरक्षित रहेंगी.

मजबूत मेड़ बनाएं

खेत की मेड़ों को ऊंचा और चौड़ा करें. मेड़ का मतलब है, खेत के चारों ओर मिट्टी का ऊंचा किनारा या बांध बनाना. खेत में मेड़ पानी को रोकती है और मिट्टी को बहने से बचाती है. बरसात के मौसम में अगर खेत की मेड़ मजबूत नहीं होगी तो पानी खेत से बाहर निकल जाएगा और मिट्टी का कटाव हो जाएगा. मेड़ के होने से बरसात का पानी खेत में ही रुकता है और धीरे-धीरे फसल की जड़ों तक पहुंचता है. इससे फसलों को लंबे समय तक नमी मिलती है. मेड़ मजबूत होने से अचानक आई तेज बारिश का पानी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाता है. पानी का बहाव रुकने से खड़ी फसल गिरती नहीं है. 

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दवाइयों का छिड़काव करें

भारी बारिश से फसलें खराब होने का डर बना रहता है. फसलों को बचाने के लिए दवाइयों का छिड़काव करें. बरसात के मौसम में वातावरण में नमी बहुत ज्यादा हो जाती है. नमी के कारण फफूंद, कीट ) और बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं. अगर समय पर रोकथाम न की जाए, तो ये रोग और कीट फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.  बारिश रुकने के तुरंत बाद सही फफूंदनाशक और कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी है. कीटनाशक का छिड़काव करने से फसल सुरक्षित रहती है. फसल में दवाई का छिड़काव हमेशा बारिश रुकने के तुरंत बाद करना चाहिए. गीले पत्तों पर छिड़काव अधिक असरदार होता है क्योंकि दवा आसानी से चिपक जाती है. छिड़काव सुबह जल्दी या शाम को करें. दोपहर में धूप तेज होती है, जिससे दवा का असर कम हो जाता है. दवा की मात्रा हमेशा कृषि वैज्ञानिक या लेबल पर लिखे निर्देश के अनुसार ही डालें. ज्यादा दवा डालने से फसल को नुकसान भी हो सकता है.

तकनीक का इस्तेमाल 

आज के समय में मौसम का चक्र बदल गया है. कभी मानसून जल्दी आता है तो कभी देरी से आता है. इसलिए खेती के दौरान तकनीक का भी इस्तेमाल करना चाहिए. फसलों को बारिश से बचाने के लिए मौसम विभाग की एडवाइजरी पर नज़र रखें. भारत सरकार और राज्य कृषि विभाग किसानों के लिए मौसम बुलेटिन और एडवाइजरी जारी करते हैं.  इस बुलेटन और एडवाइजरी में आने वाले दिनों में होने वाली भारी बारिश, तूफ़ान, ओलावृष्टि या सूखे की जानकारी दी जाती है. किसान इस जानकारी के आधार पर समय रहते खेत में नाली सफाई, बुवाई या कटाई का फैसला ले सकते हैं. अब कई सरकारी और निजी मोबाइल ऐप जैसे IMD वेदर, किसान सुविधा, मेघदूत और दामिनी एप मौसम की सटीक जानकारी देते हैं.  इन ऐप से किसानों को बारिश कब होगी, कितनी होगी और कितने दिन चलेगी? इसका अंदाज़ा लग जाता है.

तकनीक के सहारे किसान बुवाई और कटाई के लिए सही समय चुन सकते हैं. अगर अगले दो दिन भारी बारिश की संभावना है तो किसान बुवाई रोक सकते हैं. यदि कटाई का समय आ गया है और भारी बारिश की चेतावनी है तो किसान पहले ही फसल काटकर सुरक्षित स्थान पर रख सकते हैं. मोबाइल एप्स और एडवाइजरी से किसानों को पता चल जाता है कि छिड़काव कब करना सही रहेगा. इससे दवाइयां बेकार जाने की बजाय फसल पर असरदार साबित होती हैं. तकनीक और मौसम पूर्वानुमान के आधार पर किसान यह भी तय कर सकते हैं कि आने वाले सीजन में कौन सी फसलें ज्यादा सुरक्षित रहेंगी? इससे जोखिम कम होता है और फसल उत्पादन बढ़ता है.

बारिश खेती के लिए वरदान तो है लेकिन वही बारिश अभिशाप भी बन जाती है. जब भारी बारिश होती है तो फसलों को नुकसान भी पहुंचाती है. सही समय पर बारिश फसलों को जीवन देती है लेकिन अगर यही बारिश जरूरत से ज्यादा हो जाए तो फसलें बर्बाद कर देती है. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे पहले से ही एहतियात बरतें और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर अपनी मेहनत और फसलों को बचाएं.

 

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