भारत के सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्य, पश्चिम बंगाल के किसानों ने अब तक लगभग 41 लाख हेक्टेयर (lh) में धान की बुवाई की है. ये रकबा 2025-26 के खरीफ सीजन के लिए लक्षित धान रकबे का लगभग 98 प्रतिशत है. यही वजह है कि राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फसल वर्ष (जुलाई 2025-जून 2026) में कुल धान उत्पादन पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा होगा. बता दें कि पश्चिम बंगाल में पिछले साल 256 लाख टन (lt) का उत्पादन हुआ था. बता दें कि पश्चिम बंगाल में खरीफ धान की बुवाई का समय सितंबर तक बढ़ सकता है. बुवाई की प्रक्रिया आमतौर पर जून के अंत से शुरू हो जाती है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने एक अंग्रेजी अखबार 'बिज़नेसलाइन' को बताया कि धान की कुल लक्षित 42 लाख हेक्टेयर जमीन में से हमारे किसान लगभग 41 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर धान बो चुके हैं. इसलिए, वे समय से आगे हैं. हमें पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही टारगेट धान का रकबा हासिल कर लेंगे. मजूमदार ने आगे कहा कि इस बार लगभग 25,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लंबे समय तक जलभराव रहने के कारण कुछ नए रोपे गए धान की फसलें नष्ट हो गईं. लेकिन, हमारी सरकार ने प्रभावित किसानों को तैयार क्यारियों से पौधे वितरित किए हैं, ताकि क्षेत्र को नुकसान न हो और किसानों की आजीविका प्रभावित न हो.
सरकार फसलों के लिए मुफ़्त बीमा कवर की योजना लेकर आई हैं ताकि किसान लगातार बारिश या प्राकृतिक आपदाओं से अपनी फसलों को हुए नुकसान से निराश न हों. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने आगे कहा कि सरकार न केवल पौध के लिए तैयार थी, बल्कि हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी किसानों को बीमा कवर उपलब्ध हो. बता दें कि खरीफ धान की कटाई नवंबर-दिसंबर के दौरान की जाती है. पश्चिम बंगाल में धान की खेती के दो प्रमुख मौसम होते हैं—खरीफ और रबी. आमतौर पर, राज्य के किसान नवंबर से रबी की बुवाई शुरू कर देते हैं, जो मुख्य रूप से सर्दियों के दौरान सिंचाई पर आधारित एक फसल है. पिछले साल, राज्य में रबी सीजन के दौरान 76 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था.
गौरतलब है कि धान के मामले में पश्चिम बंगाल भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. बंगाल अकेले पूरे देश का 13 से 15% चावल पैदा करता है. वहीं धान का उत्पादन पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश में होता है. यहां 12.40 फीसदी धान का उत्पादन होता है.
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