गन्ना किसानों के हित में सोमवार को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक बड़ा फैसला लिया. मामला गन्ना किसानों के भुगतान का था. गन्ने के भुगतान के लिए राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दर्ज है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार पर 25000 रुपये का जुर्माना लगाया. बड़ी बात यह है कि जुर्माने की ये राशि सरकारी अफसरों से वसूलने का निर्देश दिया गया. यह निर्देश खुद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जारी किया.
याचिका में किसान नेता वीएम सिंह ने साल 2011-12 का गन्ना भुगतान करने की फरियाद की थी. याचिका में पैसे देने में देरी होने पर उसका ब्याज देने की मांग की गई थी. किसानों को जब तक गन्ने के पैसे का भुगतान ब्याज समेत न हो, तब तक किसी भी लोन की रिकवरी पर रोक लगाने की मांग की गई थी. गन्ना भुगतान से जुड़ी इस याचिका को छह अगस्त 2012 को सुना गया और अंतरिम आदेश दिए गए थे. आदेश में कहा गया कि जब तक गन्ना किसानों को ब्याज समेत भुगतान न दिया जाए, तब तक उनके लोन की रिकवरी नहीं होगी.
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सोमवार को इस मुकदमे की तारीख पर फिर से सुनवाई हुई. इस मौके पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 2011-12 का गन्ना भुगतान कर दिया गया है और याचिका बेअसर हो गई है. ऐसे में याचिका को खारिज करने की मांग की गई. इस पर याचिकाकर्ता वीएम सिंह ने कहा कि ब्याज बाकी है. लिहाजा जब तक ब्याज न मिल जाए तब तक रिकवरी सर्टिफिकेट यानी कि आरसी नहीं कटनी चाहिए. इस पर सरकार ने कहा कि ब्याज का मुकदमा इलाहबाद में चल रहा है और इस मामले का ब्याज से लेना देना नहीं है. इस दलील पर याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी याचिका 2011-12 के ब्याज से जुड़ी है.
इस पर कोर्ट ने सरकार से कहा कि एक दशक से यह बात नहीं बताई गई कि गन्ना किसानों को ब्याज कब दिया गया. इसके बाद कोर्ट ने सरकार से जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश देते हुए 25000 का जुर्माना लगाया. जवाब में कोर्ट को यह बताना होगा कि गन्ने के ब्याज का भुगतान कब किया गया. कोर्ट ने जुर्माना राज्य सरकार पर लगाया गया है. कोर्ट ने कहा कि जुर्माने का पैसा संबंधित अधिकारियों से वसूला जाए. इस मामले में अब 13 मार्च 2023 को अगली सुनवाई होगी.
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