मध्य प्रदेश के सतना के रामलोटन कुशवाहा ने अपने खेत को एक खूबसूरत म्यूजियम बना दिया है. इसमें तरह-तरह के औषधीय पौधे लगाए गए हैं. रामलोटन ने 250 से ज्यादा औषधीय पौधे जमा किए हैं, जिसकी तारीफ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में भी की थी. जिसके बाद रामलोटन कुशवाहा को जैवविविधता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतना जिले के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बाबूलाल दाहिया के नेतृत्व में दुर्लभ जड़ी-बूटियों का संरक्षण करने वाले पिथौराबाद नई बस्ती के रामलोटन कुशवाहा की तारीफ की थी.
मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसान राम लोटन देशी सब्जियों के बीजों और जड़ी-बूटियों के संरक्षण में लगे हैं. इस समय उनके बगीचे में 250 से अधिक औषधीय पौधे हैं. उनके पक्के घर की दीवार पर लटकी विभिन्न आकार की सूखी लौकी और सब्जियों की फलियां अक्सर घर आए मेहमानों को आकर्षित करती हैं. इस घर में और इसके आसपास और भी कई चीजें हैं जो लोगों को आकर्षित करती हैं. दरअसल, यह किसान राम लोटन कुशवाह का स्वदेशी संग्रहालय है, जिसमें वे जैव विविधता को संरक्षित कर रहे हैं.
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राम लोटन कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने अपने बगीचे में प्राचीन काल के जंगलों में पाए जाने वाले औषधीय पौधों को संरक्षित किया है. वह देशी प्रजातियों के बीजों को भी संरक्षित कर रहे हैं. उनके बगीचे में वे औषधीय पौधे हैं जिनका जिक्र चरक संहिता में मिलता है. इन पौधों में कई ऐसे पौधे हैं जो अब विलुप्त यानी गायब हो चुके हैं. उनके बगीचे में सतावर, काली मूसली, सफेद मूसली, हाथी पांव, समृद्ध कमरकस, लालवंती, बृजराज, जंगली अजवाइन, दहीमन, बालम खीरा आधी, नैनीह पत्ता, काली हल्दी तिखुर समेत करीब 250 प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं.
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जिले के रामलोटन कुशवाहा को राज्य स्तरीय वार्षिक जैव विविधता पुरस्कार-2022 मिला है. उन्हें आधा एकड़ जमीन में 250 औषधीय जड़ी-बूटियों को संरक्षित करने के लिए पुरस्कृत किया गया है. उचेहरा ब्लॉक के पिथौराबाद न्यू कॉलोनी अतरवेदिया खुर्द निवासी रामलोटन की बगिया से पीएम नरेंद्र मोदी भी प्रभावित हैं. उन्होंने 'मन की बात' में कई बार इसका जिक्र किया है. दुर्लभ जड़ी-बूटियों वाली बगिया की खास बात यह है कि भगवान लक्ष्मण को मूर्च्छा से बाहर निकालने वाला अग्निशिखा वृक्ष भी यहीं है. सदियों पहले युद्ध में तलवार के घावों को भरने वाली सूजी धागा नामक घास यहां लगाई गई है. नर्सरी में सबसे सस्ता 150 रुपये का दहीमन और सबसे महंगा सफेद पलास का पेड़ है. इसकी कीमत 10 हजार तक है. पूरे प्रदेश का भ्रमण करने के बाद रामलोटन जैव विविधता के क्षेत्र में नवाचार करते रहते हैं.
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