पीएम मोदी ने जारी कीं चावल की 3 नई किस्‍में, जानें ओडिशा के वैज्ञानिकों से इसका कनेक्‍शन

पीएम मोदी ने जारी कीं चावल की 3 नई किस्‍में, जानें ओडिशा के वैज्ञानिकों से इसका कनेक्‍शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चावल की तीन किस्‍मों को राष्‍ट्र को समपर्ति किया है. इस खबर से ओडिशा के वैज्ञानिक काफी उत्‍साहित हैं. दरअसल जो तीन किस्‍में पीएम मोदी ने देश को सौंपी हैं, उन्‍हें ओडिशा के ही वैज्ञानिकों ने डेवलप किया है. ओडिशा के नेशनल राइस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (एनआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने ही डेवलप किया है.  

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पीएम मोदी ने जारी कीं चावल की 3 नई किस्‍में, जानें ओडिशा के वैज्ञानिकों से इसका कनेक्‍शनपीएम मोदी ने देश को समर्पित कींं चावल की 3 नई किस्‍में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चावल की तीन किस्‍मों को राष्‍ट्र को समपर्ति किया है. इस खबर से ओडिशा के वैज्ञानिक काफी उत्‍साहित हैं. दरअसल जो तीन किस्‍में पीएम मोदी ने देश को सौंपी हैं, उन्‍हें ओडिशा के ही वैज्ञानिकों ने डेवलप किया है. ओडिशा के नेशनल राइस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (एनआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने ही डेवलप किया है. पीएम मोदी ने रविवार को फसलों की कम से कम 109 नई किस्में राष्‍ट्र को समर्पित की हैं जिसमें से तीन किस्‍में चावल की भी हैं.

कौन सी हैं वो 3 खास किस्‍में 

एनआरआरआई देश का प्रमुख राइस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट है और पिछले साल इसकी तरफ से चावल की आठ नई किस्में डेवलप की गई हैं. इन सभी को जारी कर दिया गया है और इन आठ में से ही तीन किस्‍मों को पीएम ने चुना. जिन किस्‍मों को पीएम मोदी ने देश को सौंपा है, वो काफी महत्‍वपूर्ण हैं और बायो-फोर्टिफाइड, ज्‍यादा फसल देने वाली और जलवायु के लिए फ्लेक्सिबल हैं. एनआरआरआई के डायरेक्‍टर एके नायक ने कहा कि एनआरआरआई की हाल ही में जारी आठ किस्मों में से प्रधानमंत्री ने सीआर धान 108, सीआर धान 810 और सीआर धन 416 को उनके समृद्ध पोषण मूल्यों, जलवायु की अनुकूलता और ज्‍यादा उपज वाली विशेषताओं की वजह से देश को सौंपा है. 

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क्‍या हैं इनकी खासियतें 

सीआर धान 108 पूर्वी भारत की सूखाग्रस्त पारिस्थितिकी के लिए सही है. डायरेक्‍टर नायक ने दावा किया, 'चावल की यह किस्‍म 112 दिन के अंदर पक जाती है और दाने मध्यम पतले हैं. साथ ही इस किस्‍म से किसानों की आय भी बढ़ेगी.' इसी तरह, सीआर धान 810 पानी में डूबी रहने वाली किस्म है और इसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम के बाढ़-ग्रस्त निचले इलाकों के लिए डेवलप किया गया है. वहीं, सीआर धान 416 पश्चिम बंगाल, महाराष्‍ट्र और गुजरात की खारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है. इसकी औसत उत्पादकता 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और इसे पकने में 125 दिन लगते हैं. 

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अब तक तैयार चावल की 188 किस्‍में 

नायक ने आगे कहा कि इन तीन नई किस्मों के बीज प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी अच्छी फसल देने की क्षमता रखते हैं. डायरेक्‍टर नायक के अनुसार, 'हाल ही में इंस्‍टीट्यूट की तरफ से डेवलप की गईं चावल की आठ नई किस्मों के साथ, इस संस्थान ने अपने 78 वर्षों के अस्तित्व में अब तक चावल की 188 किस्में विकसित कर ली हैं जो न केवल ज्‍यादा उपज देने वाली हैं बल्कि देश में अलग-अलग जलवायु और परिस्थिति के लिए भी उचित हैं. इस इंस्‍टीट्यूट को पहले सेंट्रल राइस रिसर्च के तौर पर जाना जाता था. इस इंस्‍टीट्यूट को अप्रैल 1946 में स्थापित किया गया था और वर्तमान समय में यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नियंत्रण में है. 

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