घरेलू बाजारों में गेहूं के भाव चरम पर हैं. आटा भी नई ऊंचाई पर है. ऐसे में एक सवाल खड़ा हुआ है कि क्या सरकार गेहूं का आयात करेगी? इसी से जुड़ा दूसरा सवाल ये है कि क्या सरकार भविष्य में गेहूं का निर्यात करेगी जब नई उपज से सरकारी भंडार भर जाएंगे? यानी सवाल जितना बड़ा गेहूं के आयात को लेकर है, तो उतना ही बड़ा निर्यात को लेकर भी है. पर सरकारी सूत्रों की मानें तो निकट भविष्य में ऐसा कोई फैसला नहीं होने जा रहा है. सरकार न तो गेहूं का आयात करेगी और न ही आने वाले समय में निर्यात पर रोक लगाएगी.
सरकारी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है, भारत अभी शायद ही गेहूं के आयात की अनुमति दे. यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि सरकार अभी एफसीआई का स्टॉक खाली कर रही है. इस स्टॉक से देश में गेहूं की जरूरतें आराम से पूरी की जा सकेंगी. बाजारों में या राशन में गेहूं की कोई कमी नहीं दिखाई देती जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को आयात करना पड़े.
एक अधिकारी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, सरकार की मंशा साफ है जितनी जल्दी स्टॉक खाली होगा, उतनी ही जल्दी गेहूं की नई खेप से उसे भरना आसान होगा. अगर स्टॉक भरा रहा तो नई आवक खरीदने और उसका भंडारण करने में सरकार को परेशानी होगी. सरकार ने 01 अप्रैल 2023 तक 126 लाख टन गेहूं का स्टॉक जमा करने का अनुमान लगाया है. इस अनुमान से पहले सरकार ने भंडार से 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का ऐलान किया था. ओपन मार्केट स्कीम के अंतर्गत सरकार सरकारी एजेंसियों की मदद से गेहूं बेच रही है.
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ओपन मार्केट सेल्स स्कीम के अंतर्गत खुले बाजार में गेहूं इसलिए बेचा जा रहा है ताकि खुदरा भाव नीचे आए. एक अनुमान में कहा गया है कि सरकार 31 मार्च तक ओपन मार्केट सेल्स स्कीम के तहत 35 लाख टन गेहूं की बिक्री कर देगी. अगर इस स्कीम का 50 लाख टन हटा भी दें तो सरकारी स्टॉक में 90 लाख टन गेहूं जमा होगा. जबकि बफर स्टॉक में 75 लाख टन गेहूं की जमा करने का नियम है. इस हिसाब से भंडार में अतिरिक्त 15 लाख टन गेहूं जमा रहेगा. ऐसे में सरकार को किसी भी सूरत में गेहूं आयात करने की जरूरत नहीं होगी.
अब रही बात निर्यात की. देश के कुछ हिस्सों में गेहूं की कटनी शुरू हो गई है. एक-डेढ़ महीने बाद लगभग पूरे देश में यह काम शुरू हो जाएगा. इससे गेहूं की नई आवक शुरू हो जाएगी. इससे दाम घटाने में भी मदद मिलेगी जो अभी कम सप्लाई की वजह से बढ़ा हुआ है. ऐसे में जब सरकार का भंडार पूरी तरह से भर जाएगा, तो यह उसके ऊपर है कि निर्यात का निर्णय ले या नहीं. रिपोर्ट कहती है कि भविष्य में अंतर मंत्रालयी टीम इस पर गौर करेगी. अप्रैल में जब पूरे देश से गेहूं की आवक शुरू हो जाएगी, तभी गेहूं के उत्पादन का सटीक अंदाजा लग पाएगा.
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यह भी जान लेते हैं कि पिछले साल क्या हुआ था. पिछले साल शुरू में गेहूं के उत्पादन का बंपर अनुमान जताया गया. इसी आधार पर सरकार ने निर्यात का फैसला जारी रखा. तब तक अचानक फरवरी में तेज गर्मी शुरू हो गई. इस गर्मी ने गेहूं के दाने को पूरी तरह से झुलसा दिया. दाने बढ़ने की बजाय सिकुड़ गए. लिहाजा उत्पादन में बड़ी गिरावट दर्ज की गई. बाद में सरकार को जल्दी में गेहूं के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी. लेकिन इस बार सरकार हर कदम सावधानी के साथ बढ़ा रही है.
पिछले हफ्ते भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने एक एडवाइजरी जारी कर पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के किसानों से कहा कि वे अपनी गेहूं की फसल पर तापमान के असर पर गौर करें. आईएमडी के मुताबिक देश के कई राज्यों में अधिकतम तापमान सामान्य से 3-5 डिग्री अधिक रह सकता है. ऐसे में गेहूं के किसानों में पैदावार को लेकर चिंता देखी जा रही है. पिछले साल गर्मी से गेहूं के प्रभावित होने के बाद निर्यात में तेज गिरावट देखी गई थी.
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