
राजस्थान के जालोर जिला मुख्यालय पर सोमवार दोपहर 12 बजे भारतीय किसान संघ के बैनर तले 186 गावों से हजारों की संख्या में किसान पहुंच गए. जालोर के आहोर, जालोर, सायला बागोड़ा उपखंड क्षेत्र से हजारों किसान धऱने में शामिल हुए हैं जिनमें पुरुष और महिलाएं शामिल हैं. इस महापड़ाव में किसानों ने कलेक्ट्रेट के सामने सड़क पर टेंट लगाकर धरना शुरू किया है. आंदोलन करने वाले किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्रॉली में अनाज, लकड़ी और पानी भरकर ले आए हैं ताकि जितने दिन महापड़ाव चले, उतने दिन खाने पीने की व्यवस्था बनी रहे. किसानों ने जवाई बांध से पानी छोड़ने और बिजली समस्या का मुद्दा उठाया है.
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष महादेवा राम चौधरी ने बताया कि जालोर के हिस्से का जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ने की मांग की गई है. यह पानी छोड़े जाने से किसानों को सिंचाई और पीने का पानी मिल सकेगा. किसान इस बांध के पानी को लेकर पिछले 20 साल से आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन हर बार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकारें नाराज करती आई है. किसानों ने इस बार बड़े स्तर पर आंदोलन की शुरुआत की है. किसानों का कहना है कि अगर सरकारी नुमाइंदे उनकी बात नहीं मानते हैं तो मंगलवार को घर से बच्चे और मवेशी (गाय-भैंस) लेकर आएंगे. इन सभी मवेशियों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था प्रशासन को करनी होगी.
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आइए जान लेते हैं कि मामला क्या है. 1957 में बांध बनकर तैयार हुआ था, तब से जालोर को जवाई का पानी नहीं मिल रहा है. 65 साल से अधिक दिन हो गए, लेकिन जालोर के किसान बांध के पानी के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं. सरकार भी जवाई के पानी पर जालोर का हक तय नहीं कर पाई है. किसानों का कहना है कि अगर बांध का फाटक खोला जाता है, या बांध ओवरफ्लो होता है तभी पानी जालोर में आता है. जवाई नदी उदयपुर से निकलकर पाली, सिरोही, जालोर जिले से होते हुए सांचौर के पास रणखार तक चलती है.
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किसान जवाई बांध की पुनर्भरण योजना का काम शुरू कराना चाहते हैं जिससे कि जवाई नदी में भी पर्याप्त पानी छोड़ने की व्यवस्था हो. किसानों की मांग है कि जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा जवाई नदी के प्राकृतिक बहाव के लिए निर्धारित हो, राजस्थान सरकार की जल नीति 2010 को लागू किया जाए और 1966 में बनी माही परियोजना को धरातल पर लाकर गुजरात से राजस्थान के हिस्से का पानी किसानों को दिलाया जाए. किसान सिंचाई के पानी सहित कई मांगों को लेकर लामबंद हुए हैं.
किसानों का कहना है कि यदि जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ा जाए तो कुओं का जलस्तर बढ़ सकता है. जवाई नदी के किनारे पावटा, आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा तहसील के 186 गांव बसे हुए हैं. इन गांवों का क्षेत्रफल तीन लाख 233 हेक्टेयर है और कृषि योग्य क्षेत्र दो लाख 70 हजार 585 हेक्टेयर है. नदियों के प्राकृतिक बहाव बंद होने से केवल पांच फीसदी क्षेत्र ही सिंचित हो रहा है, जबकि बाकी क्षेत्र बंजर हो चुका है. इन क्षेत्रों में किसानों के कुल 16 हजार 327 कुएं और 168 ट्यूबवेल हैं.(रिपोर्ट/नरेश सरनऊ)
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