लौकी की खेती से बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें हाइब्रिड किस्में और फसल प्रबंधन 

लौकी की खेती से बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें हाइब्रिड किस्में और फसल प्रबंधन 

मौजूदा वक्त में कई सब्जियां ऐसी हैं जिनकी खेती पूरे साल होती है. इन्हीं में से कद्दूवर्गीय सब्जी लौकी भी एक है. जिसकी पूरे साल में जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में खेती की जाती है. किसान लौकी की हाइब्रिड किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में आइए आज जानते हैं लौकी की हाइब्रिड किस्में और फसल प्रबंधन-

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लौकी की खेती से बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें हाइब्रिड किस्में और फसल प्रबंधन लौकी की हाइब्रिड किस्में (सांकेतिक तस्वीर)

किसान पहले जहां सिर्फ मोटे अनाजों की खेती को अपनी इनकम का एक स्त्रोत मानते थे, वहीं अब मौजूदा वक्त में किसान मोटे अनाजों की खेती से आगे बढ़कर सब्जियों की खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. अगर आप एक किसान हैं और अपनी इनकम को बढ़ाना चाहते हैं मोटे अनाजों के साथ-साथ सब्जियों की खेती कर सकते हैं. मौजूदा वक्त में कई सब्जियां ऐसी हैं जिनकी खेती पूरे साल होती है. इन्हीं में से कद्दूवर्गीय सब्जी लौकी भी एक है. जिसकी पूरे साल में जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में खेती की जाती है. ऐसे में आइए आज जानते हैं लौकी की हाइब्रिड किस्में और फसल प्रबंधन-

देश में लौकी की खेती 

लौकी की खेती साल में तीन बार यानि रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में की जाती है. जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ की बुवाई मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक और रबी सीजन में बुवाई सितंबर के अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होती है. वही जायद सीजन में लौकी की अगेती खेती के लिए मध्य जनवरी में नर्सरी तैयार करने के लिए बीज की बुवाई कर दी जाती है.

लौकी की खेती के लिए जलवायु और भूमि

लौकी की खेती लगभग देश के किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है. लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है, क्योंकि खेत में ज्यादा देर तक पानी ठहरने पर फसल खराब हो जाती है. वही इसकी सफल खेती के लिए हल्की दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती  है. यह पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है. इसकी खेती में 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान काफी अच्छा माना जाता है. 

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लौकी की उन्नत किस्में (Varieties of Bottle Gourd)

लौकी की कई किस्में हैं जिनकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर आप भी लौकी की खेती करने के साथ ही अच्छी उपज प्राप्त करना चाहते हैं तो अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा आदि की खेती कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ लौकी की हाइब्रिड किस्में (Advanced Varieties of Bottle Gourd) भी हैं जैसे- काशी बहार, पूसा हाइब्रिड 3 और अर्का गंगा आदि. जो महज 50 से 55 दिनों में फल देने लगती हैं तथा इन किस्मों की औसत उपज लगभग 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर होती है. 

लौकी की फसल को कीटों और रोगों से कैसे बचाएं?

लौकी की फसल बहुत जल्दी रोगों का शिकार हो जाती है. वही लौकी की फसल में प्रमुख रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे रोगों का ज्यादातर प्रकोप देखा जाता है. लौकी की जड़ों से लेकर बाकी हिस्सों में भी कीटों के लगने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में किसान को इन कीटों एवं रोगों से अपनी फसल को बचाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की सलाह पर कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके फसल की देखभाल करनी चाहिए.

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