मूसलाधार बारिश से 60 हजार हेक्टेयर खरीफ फसलें बर्बाद किसानों पर संकट के बादल

मूसलाधार बारिश से 60 हजार हेक्टेयर खरीफ फसलें बर्बाद किसानों पर संकट के बादल

बारिश के महीने में खेती करना किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है. किसान कभी सूखे की मार झेलते हैं तो कभी बारिश और बाढ़ ने नुकसान झेलना पड़ता है. इन दिनों महाराष्ट्र के अकोला में किसानों की लगभग 6- हजार हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई है.

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मूसलाधार बारिश से 60 हजार हेक्टेयर खरीफ फसलें बर्बाद किसानों पर संकट के बादलअकोला में 60 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद

इन दिनों देशभर में मॉनसून एक्टिव है. कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात भी देखे गए हैं जिसके चलते देश की लाखों हेक्टेयर फसलों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. इसी तरह से अकोला जिले में पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. जिला कृषि अधिकारी शंकर किरवा ने बताया कि अब तक करीब 60 हजार हेक्टेयर खरीफ फसलें प्रभावित हुई हैं. सोयाबीन, कपास, मूंग, उड़द जैसी दलहन फसलें ही नहीं, बल्कि संतरा और केला जैसी बागवानी फसलें भी भारी नुकसान की चपेट में आ गई हैं. 

खेतों में दो-दो फीट पानी, फसलें चौपट

घुसार गांव के किसान अभय पागरूत ने बताया कि उनके पांच एकड़ कपास के खेत में पूरी फसल बारिश और नाले के पानी से बर्बाद हो गई. दो दिन तक खेतों में दो से तीन फीट तक पानी जमा रहा जिससे कपास की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई. उनके अनुसार, नाले पर बनाए गए बंधारे की वजह से पानी का बहाव रुक गया और खेत तालाब में तब्दील हो गए. ये किसी एक किसान की कहानी नहीं है बल्कि सभी के साथ ऐसा हो रहा है. 

अनुमति के बिना ही बांध बना दिया

बारिश से कपास की फसल का नुकसान उठाने के बाद किसान अभय पागरुत ने बातचीत करते हुए बताया कि हर साल नाले का पानी आता है, लेकिन इस बार जलसंधारण विभाग ने गलत जगह पर बिना किसानों की अनुमति के बंधारा बांध दिया. हमने पहले ही आपत्ति जताई थी, लेकिन अधिकारियों ने हमारी बात अनसुनी कर दी. नतीजा यह हुआ कि इस बार खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह डूब गईं"

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हजारों किसान संकट में

जिले के कई हिस्सों में यही हाल है. किसानों का कहना है कि खरीफ की पूरी मेहनत इस बारिश में बह गई है. खेतों में जहां लहलहाती फसलें थीं, अब वहां पानी भरे तालाब नजर आ रहे हैं. किसानों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. और अब उनकी नजर सरकार और प्रशासन की मदद पर टिकी है.

प्रशासन से त्वरित मदद की मांग

किसानों का कहना है कि नुकसान इतना ज्यादा हुआ है, कि तात्कालिक मुआवजे की घोषणा करना किसानों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है. इसके अलावा किसानों की मांग है कि फसल सर्वेक्षण पारदर्शी तरीके से हो और प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द राहत मिले. 

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