हिमाचल प्रदेश के सेब बागवान इस सीजन गहरे संकट से जूझ रहे हैं. लगातार हो रही बारिश, टूटती सड़कें, जगह-जगह भूस्खलन और मंडियों में आढ़तियों की मनमानी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है. लगातार हो रही बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति इस बार का सेब सीजन बागवानों के लिए मुनाफा नहीं, बल्कि घाटे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसे में बागवान काफी परेशान है.
शिमला के बागवान निखिल शर्मा ने बताया कि बारिश ने सेब बागानों को भारी नुकसान पहुंचाया है. सड़कें टूट गई हैं, ज्यादातर रास्ते बंद हैं और मंडियों तक सेब पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि सेब समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा, ड्रॉपिंग बहुत ज्यादा हो रही है. ऐसे में मजबूरी में बागवानों को समय से पहले ही सेब तोड़ना पड़ रहा है, जो सेब मंडियों तक पहुंच भी रहे हैं, वे अच्छे दामों पर नहीं बिक रहे. इस साल फिर से हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है.
दूसरी ओर, प्रोग्रेसिव बागवान मोहित शर्मा ने सरकार और प्रशासन पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि सेब मंडियों की दुर्दशा पर मुख्यमंत्री और मंत्रियों का कोई ध्यान नहीं है. एक पेटी सेब तैयार करने में करीब 800 रुपये का खर्च आता है, लेकिन मंडियों में यही पेटी 800 रुपये से भी कम में बिक रही है. सीजन की शुरुआत में अधपके सेब भी 3,000 रुपये पेटी तक बिक रहे थे, लेकिन अब क्वालिटी का सेब भी 1,000 रुपये पेटी में नहीं बिक रहा. आढ़ती मनमानी कर रहे हैं और APMC अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं.
मोहित शर्मा ने कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने बागवानों को गारंटी दी थी कि बागवान अपनी फसलों का दाम खुद तय करेंगे, लेकिन आज हालत ये है कि लागत का आधा दाम भी मंडियों में नहीं मिल रहा है. सरकार बागवानों को उनके हाल पर छोड़ चुकी है.
लगातार बारिश से तबाह हुए सेब बागवानों का कहना है कि एक तरफ मौसम ने उनकी कमर तोड़ दी है, तो दूसरी ओर मंडियों में व्यापारी और आढ़ती खुलेआम लूट मचा रहे हैं. APMC और प्रशासन चुप्पी साधे हुए है. बागवानों का साफ कहना है कि अगर सरकार ने तुरंत राहत और ठोस कदम नहीं उठाए, तो इस साल का सेब सीजन उनके लिए बर्बादी की मिसाल बनकर रह जाएगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today