आपके धान को कहीं बर्बाद न कर दे आभासी कंड रोग, इस तरीके से करें बचाव

आपके धान को कहीं बर्बाद न कर दे आभासी कंड रोग, इस तरीके से करें बचाव

धान की फसल के हर एक चरण में अलग-अलग बीमारियों का प्रकोप होता रहता है, जिससे किसानों को इससे बचने के लिए कई उपाय करने पड़ते हैं. वहीं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो जानकारी के अभाव में अपनी फसलों की देखभाल नहीं कर पाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें धान पर लगने वाली रोगों की रोकथाम.

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आपके धान को कहीं बर्बाद न कर दे आभासी कंड रोग, इस तरीके से करें बचावआपके धान को कहीं बर्बाद न कर दे आभासी कंड रोग

धान खरीफ की एक प्रमुख फसल है. भारत में धान की खेती लगभग 500 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. छोटी जोत और जैविक, अजैविक कारकों के कारण कृषि श्रमिकों की धान की उत्पादकता लगातार घटती जा रही है. इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आज हम बात करेंगे धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनकी पहचान और प्रबंधन के बारे में. ताकि किसान अपने धान की फसल में उस रोग की पहचान कर सकें और फसल को बचा सकें. इसके लिए सरकार भी कई एडवाइजरी देती रहती है ताकि किसानों की फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके.

इसको लेकर हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए धान में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है. आइए जानते हैं कौन सा है रोग और उस रोग की कैसे कर सकते हैं रोकथाम.

किसानों को करनी चाहिए देख-रेख

खेती के हर चरण में अलग-अलग बीमारियों का प्रकोप होता है, जिससे किसानों को इससे बचने के लिए कई उपाय करने पड़ते हैं. वहीं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो जानकारी के अभाव में अपनी फसलों की देखभाल नहीं कर पाते हैं.

आभासी कंड रोग के लक्षण

धान की फसल में कई रोग लग जाते हैं जिससे किसानों को काफी नुकसान हो जाता है. ऐसी ही एक धान की बीमारी है आभासी कंड जिसे हल्दी गांठ रोग भी कहते हैं. इस बीमारी का प्रभाव बालियों में किसी-किसी दाने पर होता है. इस रोग से प्रभावित दाने आकार में काफी बड़े और घुंघरूओं जैसे होते हैं. रोगग्रस्त दानों के फटने पर उनमें नारंगी रंग का पदार्थ दिखाई देता है जो वास्तव में फफूंद होता है. शुरू में इन घुंघरुओं का रंग सफेद फिर पीला और बाद में काला पड़ जाता है.

आभासी कंड रोग की रोकथा

धान की फसल में आभासी कंड रोग लग जाने के बाद उसे बचाने के लिए खाद का प्रयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए. ध्यान देना चाहिए कि रोपाई के छह सप्ताह बाद नत्रजन खाद का प्रयोग न करें. वहीं कॉपर ऑक्सीक्लोराइड नामक दवा का छिड़काव 500 ग्राम प्रति एकड़ में करें, इस दवा का छिड़काव  200 लीटर पानी में मिलाकर करें. ध्यान दें कि जब 50 प्रतिशत बालियां निकल जाएं तब ही इस दवा का छिड़काव  करें. इसके अलावा पावर स्प्रेयर से इस दवा को धान की बालियों पर न छिड़कें क्योंकि ऐसा करने से दानों का रंग काला हो जाता है.

अधिक जानकारी के लिए करें संपर्क

हरियाणा सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर 18001802117 जारी किया है, जहां किसान कॉल करके धान में लगने वाली रोगों के रोकथाम की जानकारी मुहैया कर सकते हैं. अगर आप भी हरियाणा के किसान हैं तो धान की फसल को रोगों से बचाने के लिए यहां से जानकारी ले सकते हैं.

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