जब भी बात खेती की होती है तो हम एकड़ों में जमीन और लहलहाती फसलों की कल्पना करने लगते हैं. लेकिन आधुनिक समय में खेती सिर्फ पारंपरिक तरीकों तक सीमित नहीं है. आजकल मार्केट की मांग के हिसाब से खेती का स्वरूप बदल रहा है. आजकल लोग एक कमरे में अलग-अलग क्रॉप उगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. माइक्रोग्रीन्स भी ऐसी ही क्रॉप है जिसे कम समय और जगह में आसानी से किया जा सकता है.
माइक्रोग्रीन्स छोटे-छोटे हरे पौधों के अंकुर (seedlings) होते हैं, जिन्हें बीज से उगाकर 7-15 दिन के अंदर ही काट लिया जाता है. यह पौधे पूरी तरह से बड़े होने से पहले ही उपयोग में लाए जाते हैं.
ये आकार में छोटे होते हैं लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर रहते हैं.
इसमें विटामिन A, C, E, K, आयरन, पोटैशियम और ऐंटीऑक्सिडेंट्स बहुत मात्रा में पाए जाते हैं.
इन्हें सलाद, सूप, सैंडविच और गार्निशिंग में खूब इस्तेमाल किया जाता है.
माइक्रोग्रीन्स की खेती कैसे होती है?
माइक्रोग्रीन्स उगाना बहुत आसान है और इसे घर, छत, बालकनी या छोटे शेड में भी किया जा सकता है.
बीज का चुनाव - सरसों, मूंग, चना, ब्रोकली, धनिया, मेथी, सूरजमुखी, पालक, तुलसी आदि के बीज माइक्रोग्रीन्स के लिए अच्छे होते हैं.
ट्रे या गमला तैयार करें - ट्रे में नारियल का बुरादा (cocopeat), बायो-कंपोस्ट या हल्की मिट्टी डालें.
बीज बोना - बीजों को हल्का पानी छिड़ककर मिट्टी की सतह पर फैलाएं और ऊपर से हल्की परत ढक दें.
सिंचाई - रोज़ हल्के स्प्रे से पानी दें, ज़्यादा पानी न डालें.
समय - 7-10 दिन में पौधे 2-3 इंच लंबे हो जाते हैं और काटने लायक हो जाते हैं.
कटाई - साफ कैंची से पौधों को जड़ों से थोड़ा ऊपर काट लें.
मुनाफा कितना कमा सकते हैं?
माइक्रोग्रीन्स की खेती कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली मानी जाती है.
खर्चा - एक ट्रे (1×2 फीट) में बीज, मिट्टी और पानी का खर्च लगभग 40-50 रुपये आता है.
उत्पादन - एक ट्रे से करीब 300-400 ग्राम माइक्रोग्रीन्स निकलते हैं.
कीमत - मार्केट में इसकी कीमत 400 से 1,000 रुपये प्रति किलो तक होती है (किस्म और शहर के हिसाब से).
मुनाफा - एक ट्रे से लगभग 100-150 रुपये तक बचत हो सकती है.
कमर्शियल स्तर पर - अगर कोई किसान या उद्यमी 100 ट्रे लगाता है, तो महीने में 40,000-60,000 रुपये तक आसानी से कमा सकता है.
माइक्रोग्रीन्स की खेती आसान, कम जगह वाली और ज्यादा मुनाफे वाली है. यह शहरी खेती (Urban Farming) और हेल्दी फूड की बढ़ती मांग के कारण भविष्य में एक बड़ा व्यवसाय बन सकता है.