उड़द और मूंग खरीफ सीजन की अहम दलहनी फसलें हैं, जो किसानों की आय का एक अच्छा स्रोत हैं. लेकिन अक्सर विभिन्न प्रकार के कीट इन फसलों पर हमला करके पैदावार को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. अगर समय पर इन कीटों की पहचान और सही प्रबंधन न किया जाए, तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है. इस फसल के मुख्य दुश्मन कीट कौन हैं और उनसे अपनी फसल को कैसे सुरक्षित रखा जाए. इस विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, पश्चिम चंपारण के हेड और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ आरपी सिंह ने उड़द और मूंग के हानिकारक कीट सफेद मक्खी और थ्रिफ्स कीट की रोकथाम और कंट्रोल के बारे में जानकारी दी.
डॉ आपी सिंंह ने बताया कि इस समय उड़द मूंग की फसल बढ़वार अवस्था पर है. इस समय सफेद मक्खी का अटैक हो सकता है. सफेद मक्खी आकार में भले ही छोटी हो, लेकिन यह उड़द-मूंग की फसल के लिए सबसे विनाशकारी कीटों में से एक है. यह कीट तीन तरीकों से फसल को बर्बाद करता है. यह पत्तियों की निचली सतह पर रहकर लगातार रस चूसता है, जिससे पौधा कमजोर और पीला पड़ जाता है. यह पीला मोजैक रोग फैलाने का मुख्य जरिया है. जब यह मक्खी एक रोगी पौधे का रस चूसकर स्वस्थ पौधे पर बैठती है, तो वायरस फैल जाता है और धीरे-धीरे पूरा खेत रोग की चपेट में आ जाता है. यह मक्खी एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ती है, जिस पर काली फफूंद उग जाती है. यह फफूंद पत्तियों को ढक लेती है, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण रुक जाती है.
सफेद मक्खी की निगरानी के लिए भी खेत में पीले स्टिकी ट्रैप लगाना बहुत प्रभावी होता है. फसल की शुरुआती अवस्था से ही नीम आधारित उत्पादों (जैसे नीम तेल) का 3-4 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करते रहें ताकि सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ न सके. इस कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. 3 मिली दवा 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना सबसे प्रभावी माना जाता है.
ये थ्रिप्स बहुत ही छोटे आकार के कीट होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से देख पाना मुश्किल होता है. ये पत्तियों की निचली सतह और फूलों के अंदर छिपे रहते हैं और धीरे-धीरे फसल को कमजोर बनाते हैं. थ्रिप्स के बच्चे और वयस्क दोनों ही पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं. इनके प्रकोप से पत्तियां ऊपर की ओर मुड़कर नाव जैसी दिखने लगती है और उनकी बढ़त रुक जाती है. फूलों का रस चूसने से फूल समय से पहले ही झड़ जाते हैं, जिससे फलियां बहुत कम बनती हैं और पौधे बौने रह जाते हैं.
इस कीट की निगरानी के लिए खेत में 4-6 नीले या पीले रंग के स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं. कीट इन पर चिपक जाते हैं, जिससे उनकी संख्या का पता चलता है. शुरुआती प्रकोप दिखने पर नीम तेल 3-4 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना फायदेमंद होता है. अधिक प्रकोप होने पर इन दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें-इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल., 3 मिली दवा 10 लीटर पानी या थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यू.जी. को 100 ग्राम दवा 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. इस तरह समय पर कीटों की पहचान, निगरानी और एकीकृत कीट प्रबंधनअपनाकर आप न केवल अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उत्पादन में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today