किसानों को उनके उपज की बेहतर कीमत देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उनके लिए एमएसपी तय की जाती है और इस तरह से किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत मिल जाती है. एमएसपी पर खाद्यान्न की खरीद खरीफ और रबी सीजन में की जाती है. ऐसे में अब खरीफ सीजन के फसलों की आवक होने वाली है. इतना ही नहीं खरीफ सीजन में उगायी जाने वाली नौ में से छह फसलों की आवक अब देश भर के विभिन्न एपीएमएसी में शुरू हो गई है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इन बाजारों में किसान अपनी उपज के लिए एमएसपी से अधिक कीमत मिल रही है.
हालांकि सोयाबीन की बात करें तो इसकी कीमत लगभग एमएसपी के करीब चल रही है, जबकि मूंग और बाजरा को उनके प्रमुख उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत मिल रही है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की एक इकाई एजीमार्केट पोर्टल की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक ज्वार, तूर, मूंगफली, उड़द, कपास और मक्का किसानों को इस बार अधिक मुनाफा हो रहा है. क्योकि इन फसलों को विभिन्न एपीएमसी बाजारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 3 से 54 फीसदी अधिक तक कीमत मिल रही है. जबकि मूंग और बाजरा को एमएसपी से कम कीमत पर किसानों को बेचना पड़ रहा है. मूगं की कीमत एमएसपी से 11 फीसदी जबकि बाजरा की कीमत 22 फीसदी कम मिल रही है.
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कीमत को लेकर यह आंकड़े खरीफ मार्केटिंग सीजन के पहले दो दिनों एक और दो अक्टूबर की है. हालांकि दो अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती को लेकर घोषित छुट्टी के कारण कई जगहों पर कृषि बाजार बंद रहे इसके कारण व्यापार अधिक नहीं हो पाया है. वहीं धान की बात करें तो गैर बासमती धान की अलग-अलग वेरायटी की कीमतों में अलग-अलग राज्यों और बाजारों में काफी अंतर देखा जा रहा है.
ट्रेड पॉलिसी एक्सपर्ट एस चंद्रशेखरन ने जिन फसलों को एमएसपी से अधिक कीमत मिल रही है उससे यह स्पष्ट संकेत है कि जिन केंद्रों में इसकी खरीद की जा रही है पर वहां पर इन फसलों की आवक कम हो रही है. यह एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर इशारा करता है कि फसलों को जितनी उत्पादन की अपेक्षा की गई थी और बाजार में अब तक जो आ रहा है उनमें बड़ा अंतर है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों के आच्छादन का कुल क्षेत्र और अपेक्षित उत्पादन एक लिटमस टेस्ट की तरह है. क्योंकि ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है.
खऱीफ फसलों की बात करें तो महाराष्ट्र में बाजरा की औसत मूल्य 4,884 रुपये क्विंटल मिल रही है जो इसकी एमएसपी 3,180 से 54 फीसदी अधिक है.कर्नाटक में खरीफ मक्के की कीमत 2,150 रुपये क्विंटल तक मिल रही है जो इसकी एमएसपी 2,090 रुपये प्रति क्विंटल से तीन फीसदी अधिक है. अधिकारियों ने कहा कि मध्य़ भारत में कुछ महत्वपूर्ण फसलों की आवक में देरी हो सकती है क्योंकि सितंबर के महीने में यहां पर बहुत अधिक बारिश हुई है. इस वजह से किसान अपने खेतों में ही फसलों के सूखने का इंतजार करेंगे. क्योंकि अभी फसलों में नमी अधिक होने के कारण किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिल पाएगी. हालांकि अक्टूबर में बारिश कम होने के बाद फसलों की आवक बढ़ने की उम्मीद है.
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उम्मीद की जा रही है कि कृषि मंत्रालय इस सप्ताह कुल खरीफ उत्पादन को लेकर आकडें जारी कर सकता है. क्योंकि सरकार ने इस खरीफ सीजन में 158.06 मीलियन टन खाद्यान्न की खरीद का लक्ष्य रखा है. जिसमें 11 मिलियन टन चावल, 9.09 मिलियन टन दाल, 21 मिलियन टन मकई और 13.97 मिलियन टन श्री अन्न (मोटे अनाज) की खरीद का लक्ष्य रखा है. इसेक अलावा सरकार 28.37 मिलियन टन तिलहन, 470 मीलियन टन गन्ना और कपास के 55 मिलियन बेल्स खरीदने का लक्ष्य रखा है.
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