Good News: चार राज्यों में 58 हजार एकड़ खराब जमीन से बदलेगी किसानों की किस्मत, जानें कैसे

Good News: चार राज्यों में 58 हजार एकड़ खराब जमीन से बदलेगी किसानों की किस्मत, जानें कैसे

आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), रोहतक प्रभारी का कहना है कि एक खास तकनीक के चलते हरियाणा में 2942 एकड़, पंजाब में 1200 एकड़, राजस्थान में 1000 एकड़ और उत्तर प्रदेश में 20-25 एकड़ जमीन पर खारे पानी में झींगा का उत्पादन किया जा रहा है. इस साल हरियाणा में उत्पादन क्षेत्र 1200 एकड़ और बढ़ गया है.

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Good News: चार राज्यों में 58 हजार एकड़ खराब जमीन से बदलेगी किसानों की किस्मत, जानें कैसेतालाब से निकाले गए झींगा. फोटो क्रेडिट-डॉ. मनोज शर्मा

मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की मानें तो देश के चार राज्यों में 58 हजार एकड़ जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं बची है. ये वो जमीन है जिस पर अनाज का एक दाना भी नहीं उगाया जा सकता है. लेकिन मत्स्य पालन मंत्रालय ने ऐसी ही खराब जमीन से किसानों की किस्मत बदलने का प्लान तैयार किया है. उनका दावा है कि इससे किसानों की मोटी इनकम होगी. इस प्लान की जिम्मेदारी आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), रोहतक, हरियाणा को दी है. 

इन चार राज्यों में खारे पानी की जल कृषि में प्रजातियों के विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए, मत्स्य पालन विभाग ने 9.29 करोड़ रुपये की कुल लागत से कॉमन कार्प साइप्रिनस कार्पियो के आनुवंशिक सुधार पर काम करने के लिए परियोजना को मंजूरी दी है. गौरतलब रहे हाल ही में मंत्रालय में सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने रोहतक के लाहली गांव और सीआईएफई में झींगा फार्म का दौरा किया था. 

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58 हजार में से सिर्फ 2167 हेक्टेयर जमीन हो रही इस्तेमाल 

सीआईएफई के झींगा फार्म दौरे के दौरान, डॉ. अभिलक्ष लिखी ने खारे पानी के झींगा किसानों के सामने आने वाली जमीनी स्तर की समस्याओं को समझने के लिए हरियाणा के झींगा किसानों संग बातचीत की. किसानों को योजना के तहत पेडिग्रीड कॉमन कार्प बीज भी दिए गए. वहीं डॉ. अभिलक्ष लिखी ने खारे पानी में कमजोर आयनों को मजबूत करने की तकनीक के विकास द्वारा खारे पानी को झींगा पालन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए आईसीएआर-सीआईएफई के वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने खारे पानी में झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में जागरुकता अभियान पर जोर दिया. 

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उनका कहना था कि अभी चार राज्यों में खारे पानी से प्रभावित 58 हजार एकड़ जमीन है, जबकि इस्तेमाल 2167 एकड़ का हो रहा है. इस पर सालभर में लगभग 8554.15 मीट्रिक टन झींगा का उत्पादन हो रहा है. साथ ही उनका ये भी कहना था कि झींगा के अलावा खारे पानी में होने वालीं दूसरी प्रजाति के मछली पालन पर भी जोर दिया.   

 

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