हिमाचल प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इसका असर फसलों पर भी देखा जा रहा है. फल हों या सब्जियां, अनाज हो या फूल, इन्हें ठंड से बचाना जरूरी है. ठंड में मवेशियों का भी खास खयाल रखना होता है. इसे देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने किसानों के लिए खास एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि फसलों का कैसे ध्यान रखना चाहिए. लाहौल स्पीति और किन्नौर में सेब की नई फसल के लिए गड्ढों की खुदाई काम शुरू करने के लिए कहा गया है.
लाहौल स्पीति और किन्नौर के बागवानों के लिए ये भी सलाह है कि वे सेब के पुराने पेड़ों की जड़ें खोदकर देखें कि कहीं कीड़े तो नहीं लगे. इसके लिए किसान 500 मिली क्लोरपाइरीफॉस (20ईसी) प्रति 100 लीटर पानी में मिलाएं और उससे सिंचाई करें. मवेशियों को पानी और चारा थोड़ा गर्म करके खिलाने की सलाह दी गई है. ठंड ज्यादा बढ़ने पर पशुओं को गर्मी देने की व्यवस्था करनी चाहिए.
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उना, हमीरपुर, कांगड़ा और चंबा के किसानों के लिए सलाह है कि वे जमा किए गए अनाजों को एक बार चेक कर लें. ऐसे मौसम में अनाज में कीड़े लगने का डर रहता है. ग्रेन बोरर और राइस मॉथ से बचाव का पूरा इंतजाम करना चाहिए. अनाजों के बोरे में सेल्फॉस और क्विकफॉस के पाउच रख देने चाहिए. इसे कपड़े की पोटली बनाकर अनाज में रखना चाहिए.
गेहूं की फसल में खर-पतवार जम गए हों तो एक कनाल में 70 ग्राम आइसोप्रोट्यूरम, 50 ग्राम 2,4 डी (80 डब्ल्यूपी) या 24 ग्राम क्लोडिनाफॉप का छिड़काव करना चाहिए. एक हेक्टेयर गेहूं के खेत के लिए 30 लीटर पानी का सॉल्यूशन बनाना चाहिए. सरसों पर सफेद रस्ट का आक्रमण हो सकता है. अगर संक्रमण हो गया है तो प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम डायथानेम-45 मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. किसानों को माहू (एफिड अटैक) से भी सरसों को बचाना चाहिए. रबी सीजन में किसान चारे के लिए बरसीम, लूसर्न घास और जई उगा सकते हैं.
सब्जियों के खेत से खर-पतवार हटाने की सलाह दी जाती है. फसलों और सब्जियों को दीमक नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे बचाव के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20ईसी का छिड़काव किया जा सकता है. कीटों से बचाव के लिए सब्जी के खेत में एक डिब्बे के ऊपर बल्ब लगा दें. डिब्बे में पानी और मिट्टी का तेल मिला दें. बल्ब जलने पर कीड़े उसकी तरफ आकर्षित होंगे और पानी में गिरकर मर जाएंगे.
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मवेशी ने अगर कोई बच्चा दिया है तो बच्चे का ठंड से बचाव बहुत जरूरी है. अगर बच्चे के चमड़े पर मस्सा जैसा कुछ दिख रहा हो तो उस पर पोटैसियम परमैग्नेट के सॉल्यूशन से मालिस करने पर राहत मिलती है. पशुओं को एंटी वायरल सूई दी जानी चाहिए या जंगली हल्दी का पेस्ट बनाकर उन्हें लगाया जाना चाहिए. पोल्ट्री में इस मौसम में डायरिया हो सकता है. ऐसे में किसी पशु डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. पोल्ट्री को वैक्सीन भी दी जानी चाहिए. पोल्ट्री घरों में हवा की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए.
पोल्ट्री में अधिक फायदा लेना है तो एक दिन के चूजे ही खरीदें जिनका वैक्सीनेशन हो चुका हो. चूजे हमेशा किसी मान्यताप्राप्त हैचरी से ही खरीदे जाने चाहिए. इससे ब्रॉयलर चिकन से अधिक कमाई पाई जा सकती है. चूजों की अच्छी सेहत के लिए विटामिन ए और बी-कॉम्पलेक्स पानी में मिलाकर पिलाया जाना चाहिए.
आम सलाह में यह बात कही गई है कि किसी भी केमिकल जैसे कि फर्टिलाइजर, खर-पतवार नाशक, कीटनाशक का इस्तेमाल तभी करें जब खेत की मिट्टी नमी वाली हो. अगर मिट्टी सूखी हो तो उसमें खाद या कीटनाशक न लगाएं. इससे फायदे के बदले घाटा हो सकता है. क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं.
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