देश के कई राज्यों में खरीफ सीजन में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. वही पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक से चावल का सबसे ज्यादा निर्यात बांग्लादेश को किया जाता है, लेकिन देश में इस साल धान की उपज पिछले साल के मुकाबले कम हुई है. इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने चावल की महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सितंबर, 2022 में उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क (export duty) लगा दिया गया था. हालांकि इसके बावजूद सुगंधित बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 7.37 प्रतिशत बढ़ा है. ऐसे में आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं-
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, शिपमेंट पर प्रतिबंध के बावजूद भारत के सुगंधित बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 7.37 प्रतिशत बढ़कर 126.97 लाख टन हो गया. जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में निर्यात 118.25 लाख टन था.
ऑल इंडिया एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेठिया ने कहा, "चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, कुल निर्यात अभी तक मजबूत बना हुआ है."
कुल निर्यात में से, बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान बढ़कर 24.97 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 21.59 लाख टन था. सेठिया ने कहा कि तुलनात्मक अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 96.66 लाख टन से बढ़कर 102 लाख टन हो गया.
बासमती चावल को मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब में निर्यात किया जाता है, जबकि गैर-बासमती चावल का निर्यात बड़े पैमाने पर अफ्रीकी देशों को किया जाता है. गौरतलब है कि सितंबर में, सितम्बर, 2022 में, भारत सरकार ने मौजूदा खरीफ मौसम में धान की फसल के क्षेत्र में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और हल्के उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था.
सेठिया ने कहा कि निर्यात शुल्क लगाए जाने के बाद भी गैर-बासमती चावल का निर्यात प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि निर्यात मजबूत रहा है.
कृषि मंत्रालय के पहले अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन में पिछले खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन 111.76 मिलियन टन से घटकर 104.99 मिलियन टन रहने का अनुमान है.
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