केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. लेकिन कई बार ऐसी तस्वीरें सामने आ जाती हैं जिससे उन दावों पर सवाल खड़ा हो जाता है. इस बार एक ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला अंतर्गत मवाना तहसील से आया है. यहां पर एक परेशान किसान ने आत्मदाह करने की कोशिश की है. बताया जा रहा है कि अपनी जमीन का दाखिल खारिज कराने के चक्कर में यह किसान पिछले छह महीनों से तहसील में दर-दर भटक रहा है, पर कोई सुनवाई नहीं होता देख उसने दर्दनाक कदम उठाया है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ऐक्स पर एक वीडियो शेयर किया है. इसमें दिखाया गया है कि एक किसान खुद के शरीर पर पेट्रोल डालने की कोशिश कर रहा है और कुछ लोग उस किसान को रोकते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह वीडियो मेरठ जिले के मवाना तहसील का बताया जा रहा है, जिसमें एक बुजुर्ग किसान रोते-गिड़गिड़ाते हुए खुद के ऊपर पेट्रोल डालने की कोशिश कर रहा है. इस किसान का नाम इलम सिंह बताया जा रहा है. वीडियो में इलम सिंह आत्मदाह करने की कोशिश करते आ रहे हैं, जबकि कुछ लोग उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डाले गए वीडियो से मिली जानकारी के अनुसार किसान इलम सिंह ने बताया कि वे अपनी जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए पिछले 6 महीने से तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. पर उनका काम नहीं हो पा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका काम सिर्फ इसलिए अटका पड़ा है क्योंकि लोग उनसे रिश्वत की मांग कर रहे हैं और उनके पास रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं हैं. साथ ही इलम सिंह ने कहा कि सरकारी दफ्तर में रिश्वत दिए बगैर कोई सुनवाई नहीं होती है.
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हालांकि कांग्रेस की तरफ से किए गए इस पोस्ट पर जवाब देते हुए मेरठ पुलिस ने कहा है कि तहसील मवाना की घटना में आवेदक किसान ने दाखिल खारिज का वाद डाला था, लेकिन किसान की तरफ से कागजात में त्रुटी पाई गई थी, इसके कारण एसडीएम ने मवाना रकबा संशोधन की कार्यवाही 14.08.24 को आवेदक के पक्ष में की और अब दाखिल खारिज की नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है. घटना मे नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जा रही है. कांग्रेस ने अपने इस पोस्ट में लिखा है कि 'सत्ताभोगी' राज में 'भ्रष्टाचार ही सदाचार' बन गया है. यहां जब तक अधिकारियों, बाबुओं और चपरासियों की जेब में दाम नहीं जाता तब तक उनसे कोई काम नहीं हो पाताय सामने वाला फरियादी जिये या मरे इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है, उन्हें बस उनका हिस्सा मिलना चाहिए.
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