Green Fodder: सर्दियों में अफरा बीमारी से परेशान रहती हैं गाय-भैंस, क्या है इलाज, जानें यहां

Green Fodder: सर्दियों में अफरा बीमारी से परेशान रहती हैं गाय-भैंस, क्या है इलाज, जानें यहां

पशुओं का हरा-सूखा चारा हो या मिनरल मिक्चर सभी को बारिश से बचाते हुए अच्छी तरह से सुरक्षित रखना चाहिए. चारे में नमी आने पर फफूंद लगने लगती है. पशुओं में बहुत सारी बीमारियों की जड़ चारे में नमी और फफूंद ही है. इसी के चलते पशु को अफरा जैसी बीमारी होती है.  

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Green Fodder: सर्दियों में अफरा बीमारी से परेशान रहती हैं गाय-भैंस, क्या है इलाज, जानें यहांA total of 31 MLAs have written a letter to Rajasthan Chief Minister Bhajanlal Sharma, demanding the status of Rajmata to cows in the state. (File photo)

पेट फूलना या अफरा, गाय-भैंस में ये बीमारी खासतौर पर बरसात और सर्दियों के दौरान होती है. एनीमत एक्सपर्ट के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह है गीला हरा चारा खि‍लाना. दिखने में ये मामूली बीमारी लगती है, लेकिन कभी-कभी इसके चलते पशु की मौत भी हो जाती है. गीला यानि नमी वाला हरा चारा खाने से पशु का पेट फूल जाता है. गैस पास नहीं होती है. पशु बैचेन हो उठता है. पशु चिकित्सों का कहना है कि नमी वाला चारा खाने के चलते पशु के पेट में कुछ खराब गैस जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन-सल्फाइड, नाइट्रोजन और अमोनिया आदि बनने लगती हैं. 

इतना ही नहीं चारे में मौजूद नमी पशु के शरीर में माइकोटॉक्सिन नाम की बीमारी को पनपने का मौका भी देती है. पशुओं को अफरा से बचाने के लिए बिहार सरकार का पशुपालन विभाग पशुपालकों को जागरुक कर रहा है. इसी कड़ी में विभाग ने अफरा से जुड़ी एक एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में पशुपालकों को अफरा से होने वाले नुकसान, पशु में अफरा की पहचान और उसके होने की वजह बताई हैं.  

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हरे चारे के साथ मिला लें सूखा चारा 

फीड एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले ने बताया कि बरसात और सर्दियों के दौरान हरे चारे में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. अब पशु जब इस चारे को खाता है तो उसे डायरिया समेत पेट संबंधी और कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं. कई बार बरसात के दिनों में डायरिया पशुओं के लिए जानलेवा भी हो जाता है. अब इस तरह की परेशानी से बचने के लिए पशुपालकों को करना ये चाहिए कि जब पशु को हरा चारा खाने में दें तो उसे सूखा चारा भी खि‍लाएं. ऐसा करने के चलते चारे में मौजूद नमी की मात्रा कंट्रोल हो सकेगी. क्योंकि चारा खाने के बाद पशु पानी भी पीता है. इसके चलते पशु के दूध की क्वालिटी भी खराब हो जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि सूखा चारा खि‍लाने के साथ-साथ हम उसे मिनरल्स जरूर दें. 

गाय-भैंस को अफरा होने पर ऐसे करें इलाज

गाय-भैंस अफरा से पीडि़त हो, पेट फूल रहा हो और गैस पास नहीं हो रही हो तो फौरन ही घर पर इलाज शुरू कर सकते हैं. खास बात ये है कि इलाज का ज्यादातर सामान रसोई में ही मिल जाएगा. इसके साथ ही पशु के पेट को बायीं और पेड़ू के पास अच्छी तरह से मालिश करनी चाहिए. वहीं पशु को ऐसे स्थान पर बांधें जहां उसका यानि गर्दन वाला धड़ ऊंचाई पर हो.

टिंचर हींग - 15 मि.ली
स्पिरिट अमोनिया एरोमैटिक्स - 15 मिली
तेल तारपीन - 40 मिलीलीटर
अलसी का तेल - 500 मि.ली
इन सबको मिलाकर भी अफरा पीडि़त पशु को देने से उसे राहत मिलती है. 

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