Tuna Fish Catching: टूना मछली का कारोबार बढ़ाने पर काम कर रही सरकार, मछुआरों को ऐसे होगा फायदा

Tuna Fish Catching: टूना मछली का कारोबार बढ़ाने पर काम कर रही सरकार, मछुआरों को ऐसे होगा फायदा

Tuna Fish Export देश ही नहीं दुनियाभर में टूना मछली की डिमांड है. टूना मछली एक्सपोर्ट करने में मुनाफा भी अच्छा मिलता है. भारतीय सीमा के गहरे समुद्र टूना मछली बड़ी मात्रा में पाई जाती है. सबसे ज्यादा टूना लक्ष्यदीप में पाई जाती है. लेकिन हाईटेक फिशिंग बोट और तकनीक की कमी के चलते भारतीय टूना एक्सपोर्ट के मानकों को पूरा नहीं कर पाती है. 

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Tuna Fish Catching: टूना मछली का कारोबार बढ़ाने पर काम कर रही सरकार, मछुआरों को ऐसे होगा फायदागहरे समुंद्र में घूमती टूना मछली. फोटो क्रेडिट-आईओटीसी

Tuna Fish Export टूना मछली सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत पसंद की जाती है. एक्सपोर्ट मार्केट में टूना के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. और अच्छी बात ये है कि भारत की समुद्री सीमा में भरपूर मात्रा में टूना पाई जाती है. खासतौर पर येलोफिन और स्किपजैक टूना मछली खूब पाई जाती है. भारतीय बाजारों में इसकी डिमांड भी है. बाजार में ये 150 से 400-500 रुपये किलो के दाम से बिक जाती है. जबकि अटलांटिक ब्लूफिन टूना 10 से 12 लाख रुपये किलो के रेट से बिकती है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो लक्ष्यदीप के समुद्री इलाके में टूना बड़ी मात्रा में पाई जाती है. 

लेकिन गहरे समुद्र में होने के चलते इसे पकड़ना और पकड़ने के बाद किनारे तक लाते-लाते इसे फ्रेश बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि केन्द्र सरकार टूना के कारोबार को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. योजना के तहत सरकार पब्लिेक और प्राइवेट दोनों ही सेक्टर को टूना का ऑफर दे रही है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि टूना का कारोबार बढ़ाने के लिए बड़े इंवेस्मेंट, टेक्नोलॉजी और एक्सपर्ट लोगों की जरूरत है.  

सिर्फ 25 हजार टन टूना मछली पकड़ी जा रही है 

बीते कुछ वक्त पहले गुजरात में आयोजित इंटरनेशनल फिशरीज कॉन्क्लेव में भी टूना मछली को लेकर खूब चर्चा हुई थी. टूना की इस चर्चा में विदेशी फिशरीज एक्सपर्ट भी शामिल थे. कॉन्क्लेव में आए वर्ल्ड  बैंक के सलाहकार डॉ. आर्थर नीलैंड का कहना था कि भारत के स्पेशल इकोनॉमिक जोन में टूना मछली की भरमार है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक भारतीय सीमा के गहरे समुद्र में करीब 1.79 लाख टन टूना मछली हैं. ये दो तरह येलोफिन और स्किपजैक टूना हैं. लेकिन अफसोस की बात ये है कि इतनी बड़ी मात्रा होने के बाद भी सिर्फ 25 हजार टन ही टूना मछली ही समुद्र से पकड़ी जा रही हैं. 

वहीं डीडीजी फिशरीज जेके जैना का कहना है कि मालदीव की टूना आठ डॉलर के हिसाब से बिकती है. जबकि भारतीय टूना को को ठीक-ठाक दाम भी नहीं मिल पाते हैं. ये इसलिए होता है कि गहरे समुद्र से टूना पकड़कर लौटने में छह से सात दिन तक लग जाते हैं. ऐसे में टूना मछली खराब होने लगती है. अगर फिशिंग बोट में ही कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हो तो भारतीय मछुआरों को भी अच्छे दाम मिल सकते हैं. 

इसलिए है टूना मछली की डिमांड 

फिशरीज एक्सपर्ट बताते हैं कि टूना मछली खाने के बहुत फायदे हैं. अगर हड्डियों के हिसाब से बात करें तो टूना में कैल्शियम, विटामिन-डी और मैग्नीशियम बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इसलिए टूना खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. टूना में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा भी खूब होती है तो ये हॉर्ट को भी मजबूत करता है. आंखों को हेल्दी रखने और वजन घटाने के लिए भी टूना मछली फायदेमंद बताई जाती है. कोविड-19 के दौरान तो ये सामने आया था कि टूना फिश खाने से इम्यूानिटी भी बहुत तेजी से बढ़ती है.

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