Animal Care: 20 दिन बाद से बदलने लगेगा मौसम, गाय-भैंस, भेड़-बकरियों के लिए ऐसे शुरू कर दें तैयारियां 

Animal Care: 20 दिन बाद से बदलने लगेगा मौसम, गाय-भैंस, भेड़-बकरियों के लिए ऐसे शुरू कर दें तैयारियां 

Animal Care during Winter एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक अगर सभी तरह के बदलते मौसम में पशुओं को बीमारी से बचाकर रखा तो फिर पशुपालन में मुनाफा बढ़ जाता है. वर्ना तो गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी पालन, सभी में चारे के बाद सबसे ज्यादा लागत पशुओं के इलाज यानि दवाईयों पर ही आती है. साथ ही पशुओं की जान का जोखि‍म भी बना रहता है. 

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Animal Care: 20 दिन बाद से बदलने लगेगा मौसम, गाय-भैंस, भेड़-बकरियों के लिए ऐसे शुरू कर दें तैयारियां गाय को भी बनाया जा सकेगा सरोगेट मदर

Animal Care during Winter बदलता मौसम इंसान हो या पशु सभी को प्रभावित करता है. लेकिन ऐसे वक्त जरूरत होती है कि मौसम में होने वाले बदलाव से बचाव के लिए कुछ उपाय किए जाएं. क्योंकि जिस तरह से इंसान हर मौसम से बचने के लिए उपाय करता है तो ठीक वैसे ही पशुओं को भी बदलते मौसम के प्रभाव से बचाने की जरूरत होती है. क्योंकि अगर बदलते मौसम से पशुओं को सुराक्षि‍त रखा तो न वो बीमार पड़ेंगे और न ही उनका उत्पादन घटेगा. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी मौसम में पशुओं को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहला जरूरी काम ये है कि हम उस मौसम के शुरू होने से पहले ही उसकी तैयारी कर लें.

मौसम बरसात का हो या गर्मी-सर्दी का, हर एक मौसम पशुओं के लिए बीमारी भी लाता है. पशुओं के खानपान, रखरखाव और टीकाकरण में जरा सी भी लापरवाही हुई तो फौरन ही बीमार पड़ जाते हैं. केन्द्र और राज्य सरकार भी किसानों को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. 

देखभाल में सरकारी योजनाएं कैसे मददगार होती हैं 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ लोग पशुओं का बीमा कराना और उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराना पशुपालकों को बेकार, बेवजह का काम लगता है. लेकिन किसी भी मौसमी बीमारी के चलते पशु मरते हैं तो बीमा की रकम ही पशुपालक को राहत देती है. और बिना टैगिंग कराए बीमा की रकम मिलती नहीं है. अगर ऐसी ही कुछ योजनाओं का फायदा किसान भाई-बहिन उठा लें तो पशुपालन में आने वाले जोखिम को कम किया जा सकता है. गांव और कस्बों के पशु अस्पताल में भी ये सभी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं. 

पशुओं के लिए कब से क्या तैयारियां शुरू करें 

  • अक्टूबर से सर्दी शुरू हो जाती है. इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने का इंतजाम कर लें. 
  • सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आती हैं, ऐसा होते ही पशु को गाभिन कराएं. 
  • भैंस को मुर्रा नस्ल के नर से या नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराएं. 
  • भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद दोबारा हीट में ना आए तो फौरन ही जांच कराएं. 
  • गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए मिनरल मिक्चर खिलाएं. 
  • पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए दवाई का छिड़काव कराएं. 
  • दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें. 
  • पशुओं को पेट के कीड़े न हों इसके के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाई दें.
  • हरे चारे की कमी दूर करने को बरसीम की बीएल 10, बीएल 22 और बीएल 42 की बिजाई करें. 
  • बरसीम का ज्यादा चारा लेने के लिए सरसों की चाइनीज कैबिज या जई मिलाकर बिजाई करें.
  • बरसीम के साथ राई मिलाकर बिजाई करने से चारे की पौष्टिकता और उपज दोनों ही बढ़ती हैं.
  • बरसीम की बिजाई नए खेत में कर रहे हैं तो पहले राइजोबियम कल्चर उपचारित जरूर कर लें.
  • जई का ज्यादा चारा लेने के लिए ओएस 6, ओएल 9 और कैन्ट की बिजाई अक्टूबर के बीच में कर दें. 
  • बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर उसे बधिया करा दें. 

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