Goat Milk Powder: बकरी पालन अभी संगठित नहीं है. यही वजह है कि बकरी के दूध को भी अभी तक संगठित बाजार नहीं मिला है. हालांकि हर साल बकरी का दूध उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन दूध का बाजार फिक्स नहीं है. जब जरूरत होती है तो एक से डेढ़ हजार रुपये लीटर तक बकरी का दूध बिक जाता है. और जब बाजार न हो तो फिर 200 रुपये लीटर बेचना भी मुश्किटल हो जाता है. बेशक बकरी के दूध की डिमांड का कोई सीजन नहीं है. लेकिन साल के 12 महीने में कभी भी बकरी के दूध की ऐसी डिमांड आ जाती है कि हजारों रुपये किलो बिकने लगता है.
लेकिन ये तब होता है जब डेंगू या फिर कोरोना जैसी बीमारियां फैलती हैं. लेकिन बकरी के दूध का उत्पादन बहुत कम होता है तो ऐसे वक्त में दूध की डिमांड पूरी कर पाना मुश्कि ल हो जाता है. डिमांड के मुताबिक दूध न होने का नुकसान बकरी पालक को होता है. वहीं बाजार में कम दूध होने के चलते ग्राहकों को भी दूध के मुंह मांगे दाम चुकाने पड़ते हैं. लेकिन अब दूध का पाउडर बनाकर नुकसान की भरपाई की जा सकती है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा इस काम में मदद कर रहा है.
गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि बरसात से लेकर सर्दियों के मौसम तक बकरी के दूध उत्पादन में कमी आ जाती है. दूध उत्पादन करीब-करीब 60 से 70 फीसद तक घट जाता है. ऐसे वक्त में सबसे ज्यादा बकरी के दूध की कमी महसूस होने लगती है. इसी को देखते हुए बीते चार साल पहले सीआईआरजी ने बकरी के दूध से पाउडर बनाने पर काम शुरू किया था. तीन साल की रिसर्च के बाद साल 2024 में सीआईआरजी ने पुणे से 20 कीमत की मशीन मंगवाईं थी.
इस प्लांट को सीआईआरजी में लगाया गया है. प्लांट ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है. ट्रॉयल के तौर पर सीआईआरजी अब तक करीब छह किलो पाउडर बना चुका है. सीआईआरजी के एक्सपर्ट बताते हैं कि एक लीटर बकरी के दूध में 150 ग्राम पाउडर बनता है. दूध से पाउडर बनाने की तकनीक को बाजार में लाने के लिए सीआईआरजी ने महाराष्ट्र की सामाजिक संस्था शिंदे फाउंडेशन के साथ एमओयू साइन किया है.
सीआईआरजी के डॉयरेक्टर डॉ. मनीष कुमार चेतली का कहना है कि डेंगू होने पर मरीज की प्लेटलेट्स काउंट कम होने लगती हैं. ऐसे वक्त में डॉक्टर भी मरीज को बकरी का दूध पिलाने की सलाह देते हैं. क्योंकि बकरी का दूध पीने से प्लेटलेट्स काउंट तेजी से बढ़ने लगती हैं. जानकारों का कहना है कि बकरी का दूध शरीर में इम्यूनिटी भी बढ़ाता है. लेकिन असल परेशानी आती है बकरी का प्योर दूध मिलने की. कुछ लोग तो इसमे भी खेत करते हुए गाय का दूध मिला देते हैं.
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